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शिकायतकर्ताओं ने भू-माफिया के खिलाफ मुख्यमंत्री एवं अधिकारियों को पत्र भेज कर लगाई है, न्याय की गुहार! 

व्यूरो,भदोही,भू माफिया कमला शंकर मिश्रा, जिस तरह से जमीनों में हेराफेरी का कार्य कर रहा है और वही तहसील के कुछ भ्रष्टाचारी कर्मचारी नियम व कानून की धज्जियां उड़ाते हुए भू-माफिया को सहयोग करते हुए देखे जा रहे हैं। जहां आम नागरिक नि:साहय दिख रहे है वही यह भ्रष्टाचारी कानून के रक्षक ही आम आदमी के लिए भक्षक बने बैठे हैं। जहां भू-माफिया और भ्रष्टाचारी सरकार को तो चूना लगा ही है वही जेल में बंद माफिया सरगना का गुर्गा भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा ने सरकारी एवं प्राइवेट जमीन कब्जा करके ऐशो आराम कर रहा है। और राजस्व परिषद द्वारा निर्देशित नियमावलियों एवं शासनादेश को ताक पर रखकर भू माफिया सरकारी जमीनों पर अपना साम्राज्य फैलाया हुआ है। क्योंकि इनको मालूम है कि इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता फैसला तो फैसला है बहुत ज्यादा क्या होगा पीड़ित पक्ष अपील पर चला जाएगा तब तक भू माफिया द्वारा षड्यंत्र योजना के तहत उनके हक में किए गए फैसले से लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे हो जाते हैं। और पीड़ित अपील पर अपील करता भटकता रहता है। कुछ तो न्याय की आस में दम तक तोड़ दे रहे हैं लेकिन ऐसे भ्रष्टाचारी के खिलाफ कोई ना कार्रवाई होती है और ना ही कोई इनकी जांच।

ऐसा ही मामला ग्राम सभा इटहरा में स्थित भूमि पर है बताते चलें कि जेल में बंद माफिया सरगना का गुर्गा भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा द्वारा गैर कानूनी ढंग दस्तावेज में हेरा फेरी करके सरकारी एवं किसानो की जमीन कब्जा करके और लालची व जिम्मेदार लोगों को मिलाकर बगैर किसी नियम व कानून के अपने व अपने परिवार व संस्था के नाम दर्ज करवा लिया है। अब गांव में विवाद की स्थिति पैदा कर दी हैं। इस भू माफिया द्वारा गांव की सरकारी और गैर सरकारी जमीन दबंगई से की गई कब्जा के चलते जहां गांव में भारी आक्रोश है। वहीं उस गांव के दलित दिव्यांग मल्लू आदि किसानों द्वारा बताया गया कि भू-माफिया कभी दस विश्वा काश्तकार था लेकिन अब यह बीसों बीघा जमीन का मालिक बन गया है। भू माफिया कमला शंकर मिश्रा जो जमीन कब्जा कर ली है, उक्त भूमि पर तत्कालीन ग्राम प्रधान ने एसडीएम के यहां मुकदमा दाखिल किया है जिसमें यथा स्थिति बनाएं रखने का आदेश पारित किया हो चुका है, और किसान मल्लू के जमीन पर हाई कोर्ट से यथा स्थिति का आदेश है।परंतु इस भू माफियाओं के लिए कोई आदेश मायने नहीं रखता है। और तो और भू माफिया द्वारा भरे गांव में समाज के अंदर यह कहा जा रहा है कि तहसील एवं चकबंदी में विभाग में हमारे विपरीत कुछ नहीं हो सकता यहां मैं जो चाहता हूं वही होता है। यही दिख भी रहा है?

बड़ी विडंबना के साथ कहना पड़ रहा है कि अगर यह भ्रष्ट अधिकारीयों को तनिक भी डर नहीं है। वे अपने लालच में अपनी तो बेइज्जती कराते ही है, इन्हीं के वजह से सरकार की छवि धुमिल होती है।

साथ-साथ ये लोग लोकप्रिय सरकार की भी छवि को धुंधली करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जिसके चलते आहत पीड़ित परिवारों ने मुख्यमंत्री एवं जिले से लेकर प्रदेश के आला अधिकारियों को शिकायती पत्र प्रेषित कर न्याय की गुहार लगाई है। वर्तमान स्थिति तो यह है कि उक्त गांव सहित अगल-बगल के कई गांवों तक भू-माफिया के भ्रष्टाचार की चर्चा इतनी है कि उक्त गांव के छोटे-छोटे बच्चे तक जान गए हैं कि जनपद में कोई इससे बड़ा भ्रष्टाचारी नहीं है। लेकिन यह विडंबना है कि जिले के कुछ अधिकारी हैं जो ऐसे भ्रष्टाचारी भू-माफिया के कृत्य पर पर्दा डालने में लगे है। आखिर क्या वजह है कि ऐसे भू-माफिया और इसके सहयोगी के खिलाफ कोई उचित कार्यवाही नहीं की जा रही है। और न ही भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा के हेराफेरी की जांच हो रही है। यदि सही जांच हुई तो दूध का दूध और पानी का पानी अपने आप हो जाएंगा। ऐसे दबंग भू माफिया की उच्च स्तरीय जांच करा कर सजा दी जाए। यह कहना असत्य नहीं होगा कि भू-माफिया द्वारा जो सरकारी एवं प्राईवेट भूमि कब्जा किया है, उसके लिए भू-माफिया कोई बड़ी अप्रिय घटना पत्रकार एवं शिकायतकर्ताओं के साथ घटित करवा सकता है, क्योंकि भू-माफिया इतना फरेबी हैं कि उसके खिलाफ न तो जल्दी कोई शिकायत करता है और न ही कोई पत्रकार समाचार प्रकाशन करता है। भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा मूह खोलना जान पर खेलना है, इसी लिए भू-माफिया पत्रकार एवं शिकायतकर्ताओं कि हत्या की धमकी दी जा रही है क्योंकि इनका मात्र एक ही काम है सरकारी एवं किसानों की संपत्ति कैसे हमारी हो ।

इसी लिए ऐसे भ्रष्टाचारीयों के कारण लोकप्रिय मुख्यमंत्री की छवि धुमिल हो रही है।

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