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सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का खुला प्रमाण!

जिला प्रशासन को सभी साक्ष्य देने के बावजूद क्यों नहीं हो रही है कार्रवाई?

मुख्यमंत्री के माफिया विरोधी अभियान पर बुलडोजर चला रहा है भू माफिया?

सयम भारत संवाददाता

व्यूरो,भदोही, ज्ञानपुर। भदोही जनपद की ज्ञानपुर तहसील भू माफियागर्दी का अड्डा बन गया है।
जनपद के माफिया सरगना गिरोह के सदस्य कमला शंकर मिश्रा और उसके गुर्गे भारी आतंक फैला रहे हैं।
लोगों का कहना है कि ज्ञानपुर तहसील के कुछ भ्रष्टाचारियों को रिश्वत देकर ज्ञानपुर तहसील
को भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा ने खरीद लिया है। और यही बिके हुए भ्रष्टाचारी जांच करने वाले अधिकारियों को गुमराह कर रहे हैं। लेकिन कानून का हाथ बहुत लंबा होता है, धीरे-धीरे सबके चेहरे सामने आ रहे हैं।
लोगों का कहना हे कि अब तक जो शिकायती पत्र जिला, मंडल, प्रदेश के पुलिस प्रशासन को सारे प्रमाण के साथ दिए गए हैं जिसमें जांच कमेटी भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई कब करेंगी। जिसकी वजह से स्थानीय जनता में भारी रोष व्याप्त है। साथ ही कानून के जानकारों का यह भी कहना है कि कागज कभी मरता नहीं साक्ष्य के साथ दिये प्रार्थना पत्र में कार्रवाई जरूर होगी।
लोगों का कहना है कि क्षेत्र के चर्चित माफिया गिरोह के सक्रिय सदस्य भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा ज्ञानपुर तहसील में पहले लेखपाल था। इसने अपने कार्यकाल के दौरान सरकारी अभिलेखों में हेरा फेरी करके कई एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने के साथ ही इसने ग्राम समाज, ग्राम पंचायत, सार्वजनिक तालाब, बच्चों की खेल के मैदान व अन्य सरकारी जमीनों पर भी अवैध कब्जा कर दिया है। जिससे स्थानीय जनता में आक्रोश चरम सीमा पर है।
लोगों का कहना है कि एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे अपराधियों और भूमाफियाओं के खिलाफ लगातार सख्त कार्रवाई का निर्देश दे रहे हैं। लेकिन उनके निर्देश का भदोही जिले के ज्ञानपुर तहसील में पालन नहीं हो रहा है।
भू-माफिया ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर कर दिव्यांग दलित मल्लू की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया। दिव्यांग दलित मल्लू न्याय की तलाश में दर-दर भटक रहा है।
दिव्यांग दलित मल्लू तथा अन्य शिकायतकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे लोग सामूहिक ढंग से सीएम कार्यालय के सामने अनशन करेंगे।
देखते ही देखे ये भू-माफिया कई बीघा जमीन का काश्तकार कैसे बन गया? जबकि लेखपाल बनने से पहले इसके पास दस बिस्वा जमीन थी। अब इसके पास बीसों बीघा से अधिक जमीन है। इतनी अधिक जमीन इसके पास कैसे आई? इस मामले की जांच ज्ञानपुर तहसील प्रशासन क्यों नहीं कर रहा है? सरकारी जमीनों पर जो इसने अवैध कब्जा कर लिया है। उस अवैध कब्जा को क्यों नहीं हटाया जा रहा है? यह सवाल भदोही की जनता जिलाधिकारी भदोही से पूछ रही है!
स्थानीय जनता ने कहा कि भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा से अवैध कब्जे से लोगों की जमीनों को खाली कराया जाय।
लोगों का कहना है कि भदोही जिले में अभी नए जिला अधिकारी आए हैं। वह मामले को समझ रहे हैं। लेकिन जब तक अधिकारी समझते हैं। उनका तबादला हो जाता है। फिर नए अधिकारी आते हैं।
जब उ.प्र. शासन द्वारा निर्गत शासनादेश दिनांक 16.07.1975 से ग्राम सभा की भूमि को प्राईवेट विद्यालयों को आवंटित करने से मना कर दिया गया एवं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मिठाईलाल दुबे बनाम जिलाधिकारी भदोही व अन्य 2001आर.एल.टी.224 तथा 1995 आर.डी. 475 में वर्णित है ग्राम सभा/ग्राम पंचायत इटहरा की भूमि किस आधार पर भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा के पिता नाम से संचालित अवैधानिक विद्यालयों के नाम से हो गया।
तहसील ज्ञानपुर के इटहरा में पी डब्लू डी, पावर हाउस, आदि बीसों बीघा जमीन कब्जा करके उस पर स्कूल, माल, दुकान, घर बनवा कर भू-माफिया ऐसोआराम कर रहा है, और बची हुई जमीनों पर खेती कर रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब गांव में चकबंदी हुई और लोगों कहा कि यह भू-माफिया दस विश्वा काश्तकार था। लेकिन इसके पास इतनी जमीन कैसे आई?
जिस पर तत्तकालीन ग्राम प्रधान द्वारा (21) एकईस बीघा जमीन कब्जा करने वाले भू-माफिया के खिलाफ एसडीएम ज्ञानपुर के यहां मुकदमा नंबर 20 सन् 2010_2011दाखिल किया जिसपर पर एसडीएम ने स्थगन आदेश पारित किया और इसी पर जिलाधिकारी ने भी अवैध निर्माण को रुकवाने आदेश दिया गया है।
अब आते हैं भू-माफिया के खनक में कितनी दम होती है…
ज्ञानपुर एसडीएम के स्थगन आदेश को धता बताते हुए राज्य सरकार में निहित भूमि को तत्कालीन एसडीएम ज्ञानपुर ने ग्राम सभा की ओर से दाखिल मुकदमा में स्टे कर दिया था। उसपर जिलाधिकारी ने भी भू-माफिया द्वारा कराया जा रहा अवैध निर्माण को रुकवाने का आदेश दिया था। लेकिन भू-माफिया ने डीएम, एसडीएम के आदेश को ताक पर रख बीसों बीघा सरकारी जमीनों पर कब्जा कर लिया और निर्माण भी करा लिया।
भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा कारनामा यही नहीं रुका। इसने गांव के ही दोनों आंख के दिव्यांग की जमीन को उप संचालक चकबंदी (डी.डी.सी.) के यहां अपने भाई से पहला शपथ पत्र यह कि यह जमीन मुझे दान में मिली है। फिर इसी में दूसरा झूठा शपथपत्र यह दिया कि मनबोध से हमारा सुलहनामा हुआ है। इसी में तीसरा शपथपत्र दिया है कि मनबोध चमार नहीं है। बल्कि मनबोध पासी है। कह कर दोनों आंख के दिव्यांग दलित मल्लू कि जमीन को जमीन को हड़प ली है। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया है उसके बावजूद उस स्थान कि नवईयत बदल दी है।
उक्त भू-माफिया हेराफेरी के खेल कि जानकारी मिलने पर तत्तकालीन ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित हुआ कि ग्राम सभा इटहरा में मनबोध चमार के अलावा इस नाम का कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है।
पूरी कहानी बहुत जल्द…कई जिम्मेदार की संलिप्तता भी आएगी सामने।

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