“जन गण की चुनावी सोच” डॉ कुसुम पांडे
ब्यूरो, संयम भारत, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है भारत जितनी विविधता किसी और देश में देखने को नहीं मिलती है ऐसे में मतदाताओं के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि वह अच्छे से सोच विचार करके अपना वोट डालें।
जैसा कि हम लोग पिछले 10 वर्षों से सरकार के कार्यों को देखकर यह तो जरूर सोच रहे हैं कि काश यही सरकार आजादी के बाद बनी होती तो कितना अच्छा होता शायद देश का बंटवारा न होता या फिर जाति और धर्म के नाम पर देश वालों में वैचारिक मतभेद ना पैदा किया जाता। जिस तरह का विकास होना चाहिए था वह अब कुछ कुछ स्पष्ट हो रहा है।
ऐसा नहीं कि आजादी के बाद देश में कुछ काम नहीं हुआ लेकिन जिस तरह का होना चाहिए था वैसा तो बिल्कुल भी नहीं हुआ और इस बात को हम सभी लोग मन ही मन जरूर स्वीकार करते हैं। वास्तव में जब तक देशहित में स्वार्थ रहित प्रेम नहीं पैदा होगा तब तक व्यक्तिगत स्वार्थ देश हित पर भारी पड़ते रहेंगे।
अब मतदाता को यह साफ दिखाई दे रहा है कि देश विकसित हो रहा है देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है। कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी वहां हमारे देश ने आपदा में अवसर ढूंढ लिया।
सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत सारे लोगों ने रोजगार के अवसर ढूंढ लिए खाने, कपड़े, पढ़ने लिखने से लेकर सब कुछ ऑनलाइन हो गया।
आधी आबादी यानी नारी शक्ति का पूरा समर्थन देश की उन्नति से जुड़ गया है।
हमारा युवा मतदाता भी पूर्ण रूपेण अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक कुशल और देश का हित चाहने वाली सरकार चुनने के लिए तैयार खड़ा है।
नेता जन भी अपने-अपने तरीके से जनता तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम सबको यह पता है कि हमारे खास चुनावी मुद्दे क्या है?
हम सब देशवासियों का यही प्रयास होना चाहिए कि देश हित चाहने वाली, देश का मान बढ़ाने वाली और देश को विकसित करने वाली पार्टी की ही सरकार बनानी है।
और सबसे ज्यादा जरूरी बात है जो हमारा सबसे खास मुद्दा है कि हम सबको अपने घरों से निकल कर मतदान केंद्र पर जाकर अपना बहुमूल्य मत जरूर देना है। इसके बारे में हर दिन स्वयं को याद दिलाते रहना है।