उत्तर प्रदेश सरकार ने की बड़ी कार्रवाई: तीन पीसीएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्तगी और निलंबन
संयम भारत, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कठोर नीति को लागू करते हुए तीन पीसीएस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। इस कदम के तहत एक अधिकारी को बर्खास्त किया गया, जबकि दो अन्य को निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के मद्देनजर की गई है।
मुख्य आरोपी अधिकारी की बर्खास्तगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, भ्रष्टाचार के आरोपी पीसीएस अधिकारी गणेश प्रसाद सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। गणेश प्रसाद सिंह जौनपुर में मुख्य राजस्व अधिकारी (CRO) के पद पर तैनात थे। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप सामने आए थे, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं के साथ-साथ ग्राम समाज की जमीन को नियमों के खिलाफ पट्टे पर देने का मामला भी शामिल था।
गणेश प्रसाद पर आरोप था कि कुशीनगर में तैनाती के दौरान उन्होंने ग्राम समाज की जमीन को नियमों का उल्लंघन करते हुए पट्टे पर दे दिया था। इस मामले की जांच की गई और गड़बड़ियां सामने आने के बाद जाँच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रस्ताव भेजा गया, जिसके बाद गणेश प्रसाद सिंह को बर्खास्त कर दिया गया।
दो अन्य पीसीएस अधिकारियों का निलंबन
इस कार्रवाई के तहत बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले के आरोप में दो और पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों पर बरेली में तैनाती के दौरान भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
निलंबित अधिकारियों में से एक अशोक कुमार हैं, जो वर्तमान में एडीएम बरेली के पद पर तैनात हैं, जबकि दूसरे अधिकारी मदन कुमार मऊ में तैनात हैं। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने बरेली में भूमि अधिग्रहण के दौरान नियमों का उल्लंघन किया और भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए गए। इन्हें राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है।
भूमि अधिग्रहण घोटाला: 200 करोड़ से अधिक का घोटाला
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हुई धोखाधड़ी का मामला अब तक करीब 200 करोड़ रुपये के घोटाले के रूप में सामने आया है। इस घोटाले में कई अधिकारी और कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले, लोक निर्माण विभाग के दो अवर अभियंताओं को भी निलंबित किया गया था, और इस मामले में 15 से अधिक आरोपितों को निलंबित किया गया है।
योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने साफ तौर पर यह संदेश दिया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में लिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह कदम साबित करता है कि प्रदेश सरकार किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा देगा, बल्कि प्रदेश में कानून का शासन भी मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर वे किसी भी तरह की गड़बड़ी में लिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
समाज में विश्वास का पुनर्निर्माण
इस तरह की कार्रवाइयाँ न केवल प्रशासनिक कार्यशैली को पारदर्शी बनाती हैं, बल्कि समाज में सरकार के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती हैं। सरकार के इस कदम से यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी समझौता नहीं होगा। इससे प्रशासन में कार्यकुशलता और जिम्मेदारी भी बढ़ेगी, जिससे लोगों का सरकारी तंत्र पर भरोसा और अधिक बढ़ेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार की यह कार्रवाई यह स्पष्ट करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की नीति में कोई ढील नहीं दी जाएगी। गणेश प्रसाद सिंह की बर्खास्तगी और दो अन्य अधिकारियों का निलंबन यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस कदम से सरकारी अधिकारियों में जिम्मेदारी का एहसास होगा और भविष्य में ऐसे मामलों में कमी आएगी।