श्रमिक बस्ती प्रकरण सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में: कार्यवाही विचाराधीन
व्यूरो,नैनी, प्रयागराज। मालिकाना अधिकार देने, श्रमिक बस्ती नैनी से पीएसी को हटाने का मामला सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में अग्रिम कार्यवाही हेतु विचाराधीन है।
उप्र की श्रमिक बस्तियों के आवासों का मालिकाना अधिकार दिए जाने तथा श्रमिक बस्ती, नैनी में अवैध रूप से काबिज 42 वीं वाहिनी पीएसी को हटाए जाने संबंधी प्रकरण को सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान में लिया है।
श्रमिक बस्ती समिति के महासचिव, वरिष्ठ पत्रकार विनय मिश्र ने उक्त जानकारी देते हुए बताया है कि श्रमिक बस्ती की समस्याओं के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को प्रार्थना पत्र भेजकर स्वत संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई किए जाने की मांग की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समिति के महासचिव विनय मिश्र के पास भेजे गए संदेश में बताया गया है कि यह प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में दर्ज हो गया है। कार्यवाही विचाराधीन है।
ज्ञातव्य है कि केंद्र सरकार द्वारा सन 1950 में अन्य राज्यों समेत उत्तर प्रदेश के कई औद्योगिक क्षेत्रों के शहरों में श्रमिक बस्तियों का निर्माण कराया गया था। इसमें विभिन्न कारखानों में कार्य करने वाले मजदूर रहा करते थे। 1978 में केंद्र सरकार ने आदेश जारी किया कि श्रमिक बस्तियों के आवासों में रहने वाले लोगों को उनके आवासों का मालिकाना अधिकार दे दिया जाए।
दिल्ली, गुजरात, उड़ीसा, मध्य प्रदेश समेत अन्य कई राज्यों ने श्रमिक बस्तियों में रहने वाले लोगों को उनके आवासों का मालिकाना अधिकार दे दिया। लेकिन उत्तर प्रदेश में पिछले 43 वर्षों से यह समस्या लंबित है। इस समस्या को लेकर श्रमिक बस्ती समिति के द्वारा पिछले 2 वर्ष से नैनी, प्रयागराज में आंदोलन भी चलाया जा रहा है।
समिति के महासचिव विनय मिश्र ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों एवं शस्त्रागार के बारे में सेना के शस्त्रागार मानकों के विपरीत घनी नागरिक आबादी वाले क्षेत्र में अर्ध सैन्य बल के रहने से कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नागरिक आबादी वाले क्षेत्र में इनके शस्त्रागार में गोला बारूद का भंडार होने के कारण कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है। इस वजह से पीएसी को श्रमिक बस्ती से हटाकर कहीं सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया जाए।
ज्ञापन में कहा गया है कि 42 वीं वाहिनी पीएसी के लोग श्रमिक बस्ती की घनी आबादी क्षेत्र में इधर-उधर घूमते हैं। लोगों के घरों के सामने 42 सी वाहिनी पीएसी का कूड़ा फेंका जा रहा है। जिससे चारों ओर भयानक दुर्गंध फैल रही है। संक्रामक बीमारियों का खतरा है। राजकीय श्रम हितकारी केंद्र, नैनी पर पीएसी के अवैध कब्जे से श्रमिक बस्ती और नैनी के निवासियों में भारी रोष व्याप्त है। इस केंद्र में चलने वाले अस्पताल, पुस्तकालय, वाचनालय, व्यायामशाला आदि के बंद हो जाने से जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों के जितने खेलने के पार्क थे। उन पर पीएसी के लोगों के द्वारा कब्जा कर लिए जाने के कारण लोग खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहे हैं। लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। यहां तक की बच्चों के खेल के मैदान, नगर निगम प्राइमरी स्कूल का ग्राउंड, प्रमुख सड़कों पर भी इन लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। जिससे लोगों को आने-जाने में भारी दिक्कत होती है। इन्हीं प्रमुख मुद्दों को लिखकर सर्वोच्च न्यायालय में भेजा गया था।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले को संज्ञान में लिए जाने से श्रमिक बस्ती के निवासियों में अब इस आशा का संचार हुआ है कि उन्हें शीघ्र ही श्रमिक बस्ती के आवासों का मालिकाना अधिकार मिलेगा तथा 42 वीं वाहिनी पीएसी को यहां से हटाकर अन्यत्र स्थापित किया जाएगा।