कड़ी मेहनत और संकल्प से यासीन शान मुहम्मद ने गरीबी से जज बनने तक का तय किया सफर।”
यासीन शान मुहम्मद की जज बनने की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में आने वाली तमाम कठिनाइयों को हराया और एक सपना पूरा किया, जो उनके लिए और उनके जैसे लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन गया। यासीन की यात्रा न केवल संघर्ष की कहानी है, बल्कि यह यह भी साबित करती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो हालात चाहे जैसे भी हों, आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।
यासीन का जन्म केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था। उनका बचपन काफी कठिनाइयों में बीता। उनके माता-पिता का तलाक हो चुका था और उनकी माँ ने उन्हें और उनके भाई-बहन को अकेले ही पाला। यासीन के लिए अपने परिवार की देखभाल करना और उनकी जरूरतों को पूरा करना आसान नहीं था। उनकी मां दिहाड़ी मजदूरी करती थीं और आशा कार्यकर्ता के तौर पर काम करती थीं। मां के कठिन काम के बावजूद, यासीन को अपने परिवार का पेट पालने के लिए कई बार खुद भी कठिन काम करना पड़ा। इस दौरान उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ अपने परिवार की मदद करनी थी।
कभी-कभी तो यासीन को अपना ट्यूशन फीस और किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं होते थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मुश्किलों के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी। यासीन की कहानी उन लोगों के लिए एक आदर्श है, जो यह सोचते हैं कि गरीबी और कठिन परिस्थितियाँ उनके सपनों को पूरा करने में रुकावट डाल सकती हैं। यासीन ने यह साबित किया कि जब इरादा मजबूत हो, तो दुनिया की कोई भी मुश्किल व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक पहुंचने से रोक नहीं सकती।
यासीन ने अपनी पढ़ाई के दौरान कई बार छोटे-मोटे काम किए, जैसे अखबार बांटना, दूध बेचना और यहां तक कि निर्माण स्थलों पर मजदूरी भी की। इसके अलावा, उन्होंने एक समय ज़ोमैटो में डिलीवरी बॉय का काम भी किया। ये सब करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई को पूरी तरह से प्राथमिकता दी और किसी भी काम को अपनी शिक्षा के आड़े नहीं आने दिया।
यासीन ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनका एकमात्र लक्ष्य था – सिविल जज बनना। उन्होंने पॉलिटेक्निक कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया और फिर लोक प्रशासन में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, यासीन ने कानून की पढ़ाई शुरू की। उन्होंने केरल न्यायिक सेवा परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की। यासीन की कड़ी मेहनत और उनकी लगन ने उन्हें सफलता दिलाई, और उन्होंने केरल न्यायिक सेवा परीक्षा 2024 में दूसरा स्थान हासिल किया।
हालांकि, यासीन के लिए यह सफर आसान नहीं था। वह बताते हैं कि उनके लिए यह दूसरी बार था, जब उन्होंने केरल न्यायिक सेवा परीक्षा दी थी। पहले प्रयास में वह मुख्य परीक्षा पास नहीं कर पाए थे और 58वीं रैंक पर थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और दूसरी बार परीक्षा में सफलता हासिल की। यासीन के इस सफर में उनके करीबी दोस्त अंजिता का बड़ा योगदान था, जिन्होंने उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से बहुत मदद की। यासीन का मानना है कि उनकी सफलता में उन लोगों का भी अहम योगदान है, जिन्होंने उन्हें संघर्ष के समय में सहारा दिया।
यासीन कहते हैं कि उनके लिए सबसे कठिन हिस्सा मेन्स परीक्षा था, क्योंकि इस परीक्षा में लगातार 12 घंटे तक लिखने की आवश्यकता थी, और यह एक शारीरिक और मानसिक चुनौती थी। लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसे पार किया।
यासीन की महत्वाकांक्षाएँ अब भी खत्म नहीं हुई हैं। उनका अगला लक्ष्य कानून में स्नातकोत्तर (LLM) की पढ़ाई करना है, हालांकि इसके लिए उन्हें समय मिलने पर ही यह योजना आगे बढ़ा पाएंगे। यासीन का कहना है कि वह न्यायपालिका में एक मजबूत और ईमानदार भूमिका निभाना चाहते हैं। उनका उद्देश्य है कि वह न्याय का काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करें और समाज में बदलाव लाने के लिए काम करें।
यासीन की पूरी कहानी यह साबित करती है कि अगर हम अपने सपनों के प्रति सच्चे हैं और उन्हें हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, तो कोई भी समस्या या कठिनाई हमें हमारे रास्ते से हटा नहीं सकती। उनका जीवन हम सभी को यह सिखाता है कि न केवल संघर्ष से उबरने के लिए बल्कि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमें अनवरत प्रयास करते रहना चाहिए।
यासीन का यह सफर उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में किसी न किसी कठिनाई का सामना कर रहे हैं और यह महसूस करते हैं कि उनके सपने अब कभी सच नहीं हो सकते। यासीन ने यह साबित किया कि अगर हमें सही दिशा में मेहनत और समर्पण के साथ चलने का हौसला हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है और हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।