उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान एवं यूइंग क्रिश्चियन महाविद्यालय के संयुक्त तत्त्वावधान में भारतीय पर्व इतिहास एवं वैज्ञानिकता एवं संस्कृत रक्षा सूत्र अनावरण समारोह का हुआ आयोजन
संस्कृत रक्षा-सूत्र अनावरण एवं भारतीय पर्वों की वैज्ञानिकता पर विचार गोष्ठी सम्पन्न
संयम भारत संवाददाता
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ एवं यूइंग क्रिश्चियन महाविद्यालय, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय पर्व: इतिहास एवं वैज्ञानिकता” विषय पर एक दिवसीय विचार गोष्ठी तथा “संस्कृत रक्षा-सूत्र अनावरण समारोह” का भव्य आयोजन यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज परिसर में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ, जिसे गरिमा, नम्रता, आकांक्षा, अनामिका एवं ओम ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. आरुणेय मिश्र (प्रभारी, संस्कृत विभाग, यूईसीसी) ने बीज वक्तव्य में आयोजन के उद्देश्य एवं पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया।
इस अवसर पर प्रो. प्रयाग नारायण मिश्र (अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने रक्षाबंधन पर्व की ऐतिहासिकता और रक्षा-सूत्र बांधने की वैज्ञानिक पद्धतियों पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा के माध्यम से हमारी संस्कृति जीवंत होती है और रक्षा-सूत्र संस्कृत के प्रचार का सशक्त माध्यम बन सकता है। प्रो. राजेंद्र त्रिपाठी ‘रसराज’ (संस्कृत विभाग, इलाहाबाद डिग्री कॉलेज) ने लोक पर्वों पर आधारित अपना स्वरचित संस्कृत गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। डॉ. सत्य प्रकाश श्रीवास्तव (सीएमपी कॉलेज) ने शिलालेखों और संस्कृत ग्रंथों के उदाहरणों से पर्वों की ऐतिहासिकता को स्पष्ट किया, वहीं डॉ. प्रशांत सिंह (प्राचीन इतिहास विभाग, रज्जू भैया विश्वविद्यालय) ने पर्वों में निहित वैज्ञानिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता ईसीसी के प्राचार्य डॉ. ए. एस. मोजेज़ ने की और उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में हमारी सभ्यता की जड़ें समाहित हैं, इसे जन-जन तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। इस अवसर पर संस्कृत रक्षा-सूत्र के अभिनव प्रयोग का अनावरण भी किया गया। इन राखियों में “वसुधैव कुटुम्बकम्”, “नास्ति विद्या समं चक्षुः”, “सङ्घे शक्ति: कलियुगे”, “आचारः परमो धर्मः” एवं “जीवेत् शरदः शतम्” जैसी प्रेरणादायक सूक्तियां अंकित की गई हैं। इनका निर्माण एवं संयोजन संस्कृत विभाग, ईसीसी के छात्रों द्वारा किया गया है।
डॉ. आरुणेय मिश्र ने बताया कि यह प्रयास संस्कृत को जनसामान्य से जोड़ने का रचनात्मक एवं अभिनव प्रयोग है। जब भाई की कलाई पर यह सूक्तियां बंधेंगी, तो वह संस्कारों और ज्ञान की स्मृति दिलाती रहेंगी। यह पर्वों के माध्यम से संस्कृत के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक बड़ा कदम है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंशु सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जॉन कुमार (प्रभारी, प्राचीन इतिहास विभाग) ने किया। इस आयोजन का संपूर्ण कवरेज प्रसार भारती द्वारा किया गया, जिसका प्रसारण 31 जुलाई को सायं 7:30 बजे आकाशवाणी पर तथा संस्कृत दिवस पर पुनः प्रसारित किया जाएगा। इस अवसर पर प्रो. उमेश प्रताप सिंह, डॉ. प्रेम प्रकाश सिंह, महाविद्यालय के शिक्षकगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।