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भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भदोही में कब होगी कार्रवाई?

प्रदेश में सख्त कार्रवाई लेकिन भदोही जनपद उससे क्यों है अलग?

दिव्यांग दलित मल्लू को कब मिलेगा न्याय?

भूमाफिया ने जमीन छीन ली, घर से बेघर कर दिया!

जिलाधिकारी भदोही से उम्मीद, कब होगी कार्रवाई?

उत्तर प्रदेश सरकार ने की बड़ी कार्रवाई: तीन पीसीएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्तगी और निलंबन

संयम भारत,संवाददाता 

भदोही ज्ञानपुर। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी कठोर नीति को लागू करते हुए तीन पीसीएस अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। इस कदम के तहत एक अधिकारी को बर्खास्त किया गया, जबकि दो अन्य को निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के मद्देनजर की गई है।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एक ओर तो बहुत बड़ी कड़ी कड़ी कार्रवाई हो रही है। लेकिन भदोही जनपद ज्ञानपुर तहसील में अधिकारियों द्वारा उलटी गंगा बहाई जा रही है। यहां पर भूमाफियाओं से मिल करके भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को बढ़ावा दिया जा रहा है। भदोही जनपद के ज्ञानपुर तहसील के निवासी दिव्यांग दलित मल्लू की दुख भरी कहानी सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
रिटायर लेखपाल जो कि क्षेत्र का चर्चित भू-माफिया बन चुका है कमला शंकर मिश्रा और उसके गिरोह में शामिल लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी ने ज्ञानपुर तहसील में भ्रष्टाचार का आतंक फैला रखा है। जो रिश्वत नहीं देता उसका तहसील में काम नहीं होता है। इन लोगों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है। उनके विरुद्ध जिलाधिकारी भदोही से दर्जनों बार शिकायत की गई क्षेत्र के चर्चित भू-माफिया रिटायर्ड लेखपाल कमला शंकर मिश्रा और सर्वेश शुक्ला, इंदु तिवारी की काली करतूत के खिलाफ दिव्यांग दलित मल्लू आदि ने जिलाधिकारी के यहां जाकर लिखित प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन आज तक दिव्यांग दलित मल्लू को न्याय नहीं मिल सका। जिससे लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
लोगों का कहना है कि यह भू-माफिया दिव्यांग दलित मल्लू के ऊपर अत्याचार भी कर रहा है। पहले यह दस बिस्वा जमीन का मालिक था। अब बीसों बीघा जमीन का मालिक बन चुका है। इसके विरुद्ध तमाम शिकायत किए जाने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं होने से ज्ञानपुर तहसील में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का राज कायम हो गया है। यह लोग फर्जी दस्तावेज तैयार करके भोले किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा करके क्षेत्र में गुंडाराज फैलाए हुए हैं।
उधर दूसरी ओर पता चला है कि मुख्य आरोपी अधिकारी की बर्खास्तगी हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, भ्रष्टाचार के आरोपी पीसीएस अधिकारी गणेश प्रसाद सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। गणेश प्रसाद सिंह जौनपुर में मुख्य राजस्व अधिकारी (CRO) के पद पर तैनात थे। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोप सामने आए थे, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं के साथ-साथ ग्राम समाज की जमीन को नियमों के खिलाफ पट्टे पर देने का मामला भी शामिल था। गणेश प्रसाद पर आरोप था कि कुशीनगर में तैनाती के दौरान उन्होंने ग्राम समाज की जमीन को नियमों का उल्लंघन करते हुए पट्टे पर दे दिया था। इस मामले की जांच की गई और गड़बड़ियां सामने आने के बाद जाँच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रस्ताव भेजा गया, जिसके बाद गणेश प्रसाद सिंह को बर्खास्त कर दिया गया। यह भी पता चला है कि दो अन्य पीसीएस अधिकारियों का निलंबन किया गया है। इस कार्रवाई के तहत बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले के आरोप में दो और पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। इन अधिकारियों पर बरेली में तैनाती के दौरान भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
निलंबित अधिकारियों में से एक अशोक कुमार हैं, जो वर्तमान में एडीएम बरेली के पद पर तैनात हैं, जबकि दूसरे अधिकारी मदन कुमार मऊ में तैनात हैं। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने बरेली में भूमि अधिग्रहण के दौरान नियमों का उल्लंघन किया और भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए गए। इन्हें राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है।
भूमि अधिग्रहण घोटाला: 200 करोड़ से अधिक का घोटाला
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे और बरेली रिंग रोड के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हुई धोखाधड़ी का मामला अब तक करीब 200 करोड़ रुपये के घोटाले के रूप में सामने आया है। इस घोटाले में कई अधिकारी और कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले, लोक निर्माण विभाग के दो अवर अभियंताओं को भी निलंबित किया गया था, और इस मामले में 15 से अधिक आरोपितों को निलंबित किया गया है। योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर देरी से काम हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने साफ तौर पर यह संदेश दिया है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार और अनियमितताओं में लिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। यह कदम साबित करता है कि प्रदेश सरकार किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का मानना है कि यह कदम न केवल प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा देगा, बल्कि प्रदेश में कानून का शासन भी मजबूत करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर वे किसी भी तरह की गड़बड़ी में लिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।इस तरह की कार्रवाइयाँ न केवल प्रशासनिक कार्यशैली को पारदर्शी बनाती हैं, बल्कि समाज में सरकार के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती हैं। सरकार के इस कदम से यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी समझौता नहीं होगा। इससे प्रशासन में कार्यकुशलता और जिम्मेदारी भी बढ़ेगी, जिससे लोगों का सरकारी तंत्र पर भरोसा और अधिक बढ़ेगा।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई से भू-माफियाओं और भ्रष्ट्र अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। देखना है मुख्यमंत्री के दिए गए इस निर्देश का असर भदोही जिले के ज्ञानपुर तहसील पर कब होगा? इस क्षेत्र में जो इन लोगों ने भ्रष्टाचार फैला रखा है उस पर कब कार्यवाही होगी?
उत्तर प्रदेश सरकार की यह कार्रवाई यह स्पष्ट करती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की नीति में कोई ढील नहीं दी जाएगी। गणेश प्रसाद सिंह की बर्खास्तगी और दो अन्य अधिकारियों का निलंबन यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस कदम से सरकारी अधिकारियों में जिम्मेदारी का एहसास होगा और भविष्य में ऐसे मामलों में कमी आएगी।

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