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बिहार के मुद्दों पर ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए चित्रा त्रिपाठी को मिला अवार्ड!

बिहार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने, लगातार उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग करने के लिए एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर एंकर चित्रा त्रिपाठी को “बिहार गौरव अस्मिता अवार्ड” से राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सम्मानित किया है।
इस अवार्ड को लेकर जो लोग सवाल उठा रहे हैं कि चित्रा त्रिपाठी ने बिहार के लिए क्या किया है?
उन लोगों को शायद यह पता नहीं है कि बिहार के मुद्दों को प्रमुखता से सामने लाने के लिए ही उन्हें यह अवार्ड मिला है। चित्रा त्रिपाठी बीते दो दशक से टीवी पत्रकारिता से जुड़ी हुई है। बिहार पर की गई उनकी कवरेज अक्सर चर्चा का विषय बनती है।
पता होना चाहिए कि बिहार में बाढ़ की कवरेज मुजफ्फरनगर बालिकागरिया कांड, चुनाव में बुलेट रिपोर्टर कार्यक्रम, नीतीश के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की पहली बैठक हो या अन्य विषय हो। तकरीबन हर मुद्दे पर बिहार की जमीन पर जाकर उन्होंने सवाल पूछे। चित्रा त्रिपाठी के एबीपी न्यूज़ चैनल पर शाम 5:00 बजे के महा दंगल शो में बिहार के विषय की प्राथमिकता देखी जा सकती है। उनके रात 9:00 बजे के कार्यक्रम जनहित में बारीकी से राजनीतिक खबरों का विश्लेषण होता है। जिसमें बिहार की घटनाओं को भी प्रमुखता से शामिल किया जाता है। सोशल मीडिया पर वायरल एबीपी न्यूज़ पर हाल ही में शुरू हुआ नया कार्यक्रम चर्चा में है।
चित्रा त्रिपाठी का पहला एपिसोड बिहार की भूमि से बिहार के एक लाल के साथ प्रकाश प्रसारित हुआ। इस शो में लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ।
चित्रा ने बिहार के सीतामढ़ी में बाढ़ के दौरान उन्होंने केले के पेड़ के तने से बनी नाव पर बैठकर गांव के अंदर जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग की थी। जिस पर सोशल मीडिया पर उन्हें सराहना भी मिली। टीवी पर चलने वाली रिपोर्ट के जरिए उन्होंने बताया था कि सरकार जब अनदेखा करती है, तो गांव की बड़ी आबादी जो बाढ़ की वजह से बाकी हिस्सों से कट जाती है। वहां खाने-पीने का सामान भी नहीं पहुंच पाता है। तो फिर वहां जुगाड़ की नाव का ही सहारा होता है। चित्रा त्रिपाठी की रिपोर्ट के अगले ही दिन गांव वालों को असली नाव मिल गई थी। वह ग्रामीण जो 5 दिनों से एक हिस्से में कैद थे। जो केवल चूरा और चीनी से गुजर कर रहे थे। उनके पास खाने पीने का सामान पहुंचा।
चित्रा त्रिपाठी की ऐसी अनगिनत स्टोरी है। जो बिहार के मुद्दों पर आपको देखने को मिल जाएंगी। इसलिए उनके अवार्ड पर सवाल उठाना गलत है तथा लोगों की ईर्ष्या का प्रतीक भी है।
चित्रा त्रिपाठी का जन्म एक ब्राह्मण हिंदू परिवार में हुआ था। उनके परिवार में उनके माता-पिता और भाई-बहन हैं। चित्रा त्रिपाठी की प्रारंभिक शिक्षा उनके अपने शहर गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुई। आगे की उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने एडी गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज में दाखिला लिया। जहां से उन्होंने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। आगे उन्होंने रक्षा अध्ययन से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
चित्रा त्रिपाठी बचपन से ही भारतीय सेवा में जाना चाहती थीं। लेकिन बाद में उन्होंने अपना मन बदल लिया और पत्रकारिता करने लगीं।
चित्रा ने ईटीवी न्यूज चैनल से जुड़कर अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की और न्यूज 24, ABP, आजतक जैसे न्यूज चैनलों के साथ काम कर चुकी हैं।
चित्रा त्रिपाठी न्यूज एंकरिंग और सोशल मीडिया के जरिए पत्रकारिता करती हैं। चित्रा त्रिपाठी वर्तमान समय में ABP न्यूज़ में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं।
हमारे तेज़ी से बदलते सामाजिक और राजनीतिक माहौल में, महिला पुरस्कारों का महत्त्व और और भी अधिक बढ़ गया है। महिला पुरस्कारों को विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की विशिष्ट चुनौतियों और सफलताओं पर प्रकाश डालना जारी रखना चाहिए। महिलाओं के पुरस्कारों के लिए संस्थानों को इन विशिष्ट सम्मानों की प्रतिष्ठा बढ़ाने का लक्ष्य रखना चाहिए। महिलाओं की उपलब्धियाँ समर्पित स्वीकृति की हकदार हैं। कई वर्षों से महिला पुरस्कार मान्यता के चमकदार प्रतीक के रूप में खड़े हैं, जो उन क्षेत्रों में महिलाओं की उपलब्धियों को उजागर करते हैं। जहाँ उन्हें अक्सर दरकिनार कर दिया जाता है। ये सम्मान सिर्फ़ समावेशन के लिए एक प्रेरणा से कहीं ज़्यादा है; इनका उद्देश्य ऐसे समाज में उत्कृष्ट उपलब्धियों को सम्मानित करना है। जो अक्सर महिलाओं के योगदान को अनदेखा करता था। हालाँकि, राजनीतिक प्रभावों और बदलते सांस्कृतिक दृष्टिकोणों से चुनौती के कारण इन पुरस्कारों की अखंडता बनी रहनी चाहिए।
महिला पुरस्कारों का भविष्य समाज की निष्पक्षता, मान्यता और समावेशिता के बीच संतुलन खोजने की क्षमता पर निर्भर करता है।
महिला पुरस्कारों ने ऐतिहासिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों में महिला उपलब्धियों को स्वीकार करने और सम्मानित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे साहित्य, विज्ञान, खेल या फ़िल्म हो, इन पुरस्कारों ने उन क्षेत्रों में आवश्यक मान्यता प्रदान की है। जहाँ महिलाओं को अक्सर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालाँकि, हमारे तेज़ी से बदलते सामाजिक और राजनीतिक माहौल में, इन पुरस्कारों का महत्त्व और भी अधिक है। अतीत में महिला पुरस्कार उन क्षेत्रों में उत्कृष्टता की कड़ी मेहनत से स्वीकारोक्ति का प्रतिनिधित्व करते थे। जहाँ अक्सर महिला प्रतिभा को अनदेखा किया जाता था। वे सिर्फ़ समावेश के प्रतीक नहीं थे, बल्कि लचीलेपन, दृढ़ संकल्प और अग्रणी सफलता के प्रतीक थे। ऐसे समय में जब समावेशिता को अपनाने का दावा किया जाता है तो महिला पुरस्कारों का अनूठा उद्देश्य उल्टा जोखिम में है। कुछ लोग तर्क देते हैं कि समानता के उद्देश्य वाले समाज में लिंग-विशिष्ट पुरस्कार अब मौजूद नहीं होने चाहिए। लेकिन क्या सच्ची समानता उन मंचों को ख़त्म करने से आती है? जो कभी महिलाओं की आवाज़ को बुलंद करते थे।
आज के सांस्कृतिक परिवेश में, जहाँ प्रतिनिधित्व को अक्सर प्राथमिकता दी जाती है। कुछ पुरस्कारों ने सच्ची उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया है। यदि किसी महिला को उसकी असाधारण क्षमताओं के लिए सम्मानित किया जाता है। महिला पुरस्कारों को पुराने प्रतीक या दिखावटीपन के उपकरण नहीं बनने चाहिए। उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की विशिष्ट चुनौतियों और सफलताओं पर प्रकाश डालना जारी रखना चाहिए। इन पुरस्कारों के महत्त्व के बढ़ने से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे केवल एक प्रतीकात्मक इशारे के बजाय सच्ची उत्कृष्टता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यदि हम वास्तव में महिलाओं की उन्नति का जश्न मनाना चाहते हैं, तो उनके पुरस्कार केवल औपचारिकता नहीं होने चाहिए। उन्हें प्रतिभा, लचीलेपन और महत्त्वपूर्ण योगदान की सही स्वीकृति के रूप में काम करना चाहिए। जब विजेताओं का चयन मुख्य रूप से उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के आधार पर किया जाता है, तो इससे पुरस्कारों की विश्वसनीयता बढ़ जाती है। चित्रा त्रिपाठी को पुरस्कार दिया जाना महिलाओं की विश्वसनीयता का सम्मान है। महिलाओं को ऐसे सम्मान की आवश्यकता है। जो उनके कौशल और प्रभाव को दर्शाता हो। महिलाओं के पुरस्कारों के लिए, संस्थानों को इन विशिष्ट सम्मानों की प्रतिष्ठा बढ़ाने का लक्ष्य रखना चाहिए।
महिलाओं की उपलब्धियाँ समर्पित स्वीकृति की हकदार हैं। एक बाद की सोच के रूप में नहीं, बल्कि उनके महत्त्वपूर्ण योगदान होना चाहिए।
ऐसे समय में जब हमें प्रगति का जश्न मनाना चाहिए और उसकी रक्षा करनी चाहिए, महिला पुरस्कारों के लिए घटता सम्मान और उनकी आलोचना परेशान करने वाला है। यदि हम वास्तव में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रभाव की सराहना करते हैं तो यह प्रगति का परिचायक है।
बिहार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाने लगातार उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग करने के लिए एबीपी न्यूज़ की वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर एंकर पार्टी को बिहार गौरव अस्मिता अवार्ड से राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सम्मानित किया। इस अवार्ड से देश की महिलाओं के सम्मान को पुरस्कार मिला है। लोगों को इसकी सराहना करनी चाहिए।
चित्रा त्रिपाठी जी एक अच्छी एंकर तो हैं ही, साथ ही उनकी विशिष्ट सुंदरता उनके व्यक्तित्व में चार चांद लगाती है। पिछले दिनों जब वे कुंभ मेले में कवरेज के लिए आई थी। तो लोगों को देखकर यह बड़ा आश्चर्य हुआ कि लोग उन्हें न्यूज एंकर कम फिल्म अभिनेत्री समझ कर उनके पास जाकर ऑटोग्राफ लेने लगे थे। उनकी योग्यता, विशेषता और सुंदरता वास्तव में सराहनीय है। इसका लोगों को सम्मान करना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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