इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत की संपत्ति का संरक्षक है, नियमानुसार वह सूचना नहीं दे रहा है तो उसके खिलाफ डीएम कार्रवाई करें
इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश, ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत की संपत्ति का संरक्षक है। नियमानुसार वह सूचना नहीं दे रहा है तो उसके खिलाफ डीएम कार्रवाई करें
जब प्रधान की ओर से भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा से ग्राम सभा की बीसों बीघा भूमि को मुक्त कराने के लिए उपजिलाधिकारी के यहां वाद दाखिल किया गया हैं, तो हाई कोर्ट का आदेश ग्राम सभा इटहरा में क्यों नहीं लागू हो पा रहा है ……..?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का ज्ञानपुर तहसील में कब होगा पालन?
भू-माफिया कमला शंकर का कब हटेगा अवैध कब्जा?
हाईकोर्ट का आदेश: यूपी में अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई की हिदायत
सरकारी भूमि से 90 दिन में कब्जे हटाएं
विधि संवाददाता/संयम भारत
व्यूरो, भदोही,इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेशवासियों को सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण हटाने में उदासीन राजस्व विभाग और लेखपाल के खिलाफ दीवानी अवमानना की कार्यवाही करने का अधिकार दिया है। यह कार्यवाही हाईकोर्ट में की जा सकेगी। साथ ही प्रदेश में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण 90 दिनों के भीतर हटाने का निर्देश दिया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का भदोही जनपद के ज्ञानपुर तहसील में पालन नहीं हो पा रहा है। ग्राम सभा की जमीन पर भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा ने अवैध कब्जा कर रखा है। अवैध कब्जा को हटाए जाने को लेकर ग्राम सभा ने उप जिलाधिकारी के यहां वाद भी दाखिल किया है साथ ही ग्राम वासियों ने शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग कर रहे है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून के अनुसार कार्य करने में विफल रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्यवाही की जाए। इस मामले में जीरो टारलेंस नीति को अपनाते हुए अतिक्रमण यथाशीघ्र हटाया जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि ने झांसी के मुन्नीलाल उर्फ हरिशरण की जनहित याचिका निस्तारित करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारियों पर हर्जाना लगाएं और यदि जरूरी हो तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्यवाही करें। कोर्ट पहले ही मान चुकी है कि फुटपाथ पैदल चलने वालों के लिए हैं और इनका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों (जैसे फेरी लगाना या कार क्लिनिक चलाना) या निजी ढांचे के लिए नहीं किया जा सकता, इसलिए संबंधित अधिकारी इन्हें बाधाओं से मुक्त रखें।
कोर्ट ने झांसी के डीएम को निर्देश दिया कि एसडीएम की अध्यक्षता में टीम गठित कर याची की शिकायत पर जांच कराएं। यदि राजस्य अभिलेखों में दर्ज सार्वजनिक रास्ते पर अतिक्रमण है तो कोर्ट ने कहा, अतिक्रमणकारियों पर हर्जाना लगाएं
कोर्ट ने ये दिए निर्देश
ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत संपत्ति का संरक्षक है। नियमानुसार वह सूचना नहीं दे रहा है तो उसके खिलाफ डीएम कार्रवाई करें।
पुलिस अधिकारी अधिकारी अतिक्रमण हटाने में राजस्व अफसरों को पूर्ण सहयोग दे, शांति व्यवस्था बनाए रखें।
आयुक्त, डीएम समेत अन्य अफसर प्रति वर्ष अतिक्रमण हटाने और दोषी अधिकारियों पर की गई कार्रवाई से मुख्य सचिव को अवगत कराएंगे।
90 दिन में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही तहसीलदार ने नहीं को तो कदाकर माना जाएगा
किसी सड़क पर कोई बाधा या अतिक्रमण है तो व्यक्ति गलत तरीके से कैद होने को मजबूर हो जाएगा। और बिना रास्ता या सड़क, जीवन नर्क के समान है। इसलिए सड़क आवश्यक है क्योंकि यह व्यक्ति की ही नहीं, बल्कि समाज के व्यापक जनमानस की शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सम्मान आदि को भी प्रभावित करती है। इसलिए रास्ते या सड़क पर अतिक्रमण नहीं होना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि संबंधित हल्का लेखपाल के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए, जिसने सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण से इनकार करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। यह प्रक्रिया 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरी की जाए। और इसका कड़ाई से पालन किया जाए।
कोर्ट कहा कि न्यायालय संबंधित याचिकाओं से भरा है। हाई कोर्ट ने प्रदेश के सभी डीएम-एसडीएम को निर्देश दिया कि ऐसे
लोगों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करें जो किसी अतिक्रमण के संबंध में संबंधित तहसीलदार या तहसीलदार न्यायिक को इस आदेश की तिथि से अतिक्रमण करने वाले की विरुद्ध कार्यवाही नहीं करते या उनकी सूचना नहीं देते उनके खिलाफ कार्यवाही करने को कहा गया है।