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माफिया सरगना का सहयोगी पूर्व लेखपाल कमला शंकर मिश्रा का चेहरा आया सामने!

माफिया सरगना के खौफ से भय और आतंक का माहौल!

दस बिस्वा जमीन का मालिक कैसे बन गया बीसों बीघा जमीन का काश्तकार!

रिटायर्ड लेखपाल कमला शंकर मिश्रा की काली करतूतो का हुआ खुलासा!

लेखपाल ने किया फर्जीवाड़ा, किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा!

माफिया सरगना एवं भू-माफिया पूर्व लेखपाल व इसका भतीजा राशन माफिया अंबुज मिश्रा के बैंक खाते और फोन और क्रियाकलाप की जांच होगा तो दूध का दूध पानी का पानी अपने आप पता चल जाएगा और कैसे मिलकर चल रहा है रैकेट!

रिटायर लेखपाल बना गुंडागर्दी और आतंक का मास्टरमाइंड!

भू माफिया के मोहरे बने लेखपाल और कानूनगो!

भू माफिया के कब्जे से कब खाली होगी जमीन?

विशेष संवाददाता

व्यूरो,भदोही, ज्ञानपुर। दस बिस्वा जमीन का मालिक देखते ही देखते बीसों बीघा जमीन का कैसे काश्तकार बन गया? फर्जी अभिलेख के जरिए गुंडागर्दी के बल पर किसानों की जमीन छिनने वाला रिटायर्ड लेखपाल कमला शंकर मिश्रा की काली करतूते अब सामने आने लगी हैं। इसका खौफनाक चेहरा अब जनता के सामने आ गया है।
भदोही जिले के चर्चित भूमिया विजय मिश्रा के साथ मिलकर भोले वाले किसानों की जमीन कब्जा करने वाले इस माफिया सरगना की हिस्ट्री शीट खोली जाए और इसके द्वारा जो काला धन अर्जित किया गया है। उसकी जांच कराई जाए तो करोड़ों की अवैध संपत्ति का खुलासा हो सकता है।
छानबीन करने पर पता चला है कि भू माफिया पूर्व लेखपाल कमला शंकर मिश्रा ने ज्ञानपुर तहसील में बहुत बड़ा गिरोह बना रखा है। यह पहले तहसील में लेखपाल था। लेखपाल होने के कारण अपने पद का इसलिए दुरुपयोग करते हुए भोले भाले किसानों की जमीन, ग्राम पंचायत की जमीन, ग्राम सभा की जमीन, बच्चों के खेलकूद के मैदान की जमीन, सरकारी तालाब और बाग की जमीन पर अवैध कब्जा करने के साथ ही उन जमीनों की खरीद बिक्री में भी कई वर्षों से लगा हुआ है।
तहसील में जब यह लेखपाल था। तो जलसाजी के जरिए फर्जीवाडा करते हुए बहुत से किसानों की जमीन इधर से उधर कर डाली और उनकी जमीनों को इसने अपने नाम से भी करवाया। अपने परिवार के लोगों के नाम से लिखवा दिया। रिश्तेदारों को बहुत सी जमीन दिलवा दी और यही नहीं ग्राम पंचायत, ग्राम सभा, सार्वजनिक तालाब की जमीन पर फर्जी इंद्राज करके इसने अपने परिवार, अपने पिता का नाम चढ़ा करके उस पर कब्जा कर दिया। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने के बाद इसने प्राइमरी, जूनियर हाई स्कूल, हाई स्कूल, इंटर स्कूल कॉलेज की मान्यता ले ली और स्वयं अपने-अपने पिता के नाम परिवार के सदस्यों के नाम स्कूल कॉलेज चला रहा है। इसके स्कूलों में जमकर धुआंधार नकल होती है। मनवाने तरीके से फीस वसूली जाती है। शिक्षा विभाग में बिना स्कूल का वैधानिक कागज जमा किए हुए वहां भी फर्जीवाड़ा करके इसने मान्यता ले ली।
जब तक यह तहसील में लेखपाल के पद पर कार्य था। इसने जमकर के घोटाला किया। भयंकर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के जरिए हजारों करोड़ों रुपए इसने संपत्ति इकट्ठा कर रखी है।
सूत्रों का कहना है कि इसने अपने घर में पूरे ज्ञानपुर तहसील का कागजात अलग से रखा हुआ है। उसमें भी भारी रकम जमा हो सकती है। इससे यह काला धन अर्जित कर रहा है। लेखपाल के पद का दुरुपयोग करते हुए इसने भयंकर मनमानी की और जब रिटायर हो गया तो इसने तहसील में कार्यरत लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी से मिल करके बहुत बड़ा रैकेट बना डाला। अब यह बैठे-बैठे शतरंज की चाल चलता है और लेखपाल सर्वेश शुक्ला कानूनगो इंदु तिवारी इसके मोहरे के रूप में काम करते हैं। पूरे ज्ञानपुर तहसील को इसने भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी का अड्डा बना दिया है। इसकी काली करतूतो से क्षेत्र की जनता परेशान है।
दलित दिव्यांग मल्लू के साथ तो इन लोगों ने जो किया। उसकी मिसाल कहीं दुनिया में और नहीं मिलेगी। दोनों आंखों से दिव्यांग दलित मल्लू की कीमती जमीन इस रिटायर्ड लेखपाल ने हथिया ली और वहां पर दुकान, स्कूल आदि मकान बनाकर प्रॉपर्टी रेलिंग का धंधा कर रहा है। लोगों का कहना है इस बात की जांच कराई जाए कि पहले इसके परिवार में दस बिस्सा जमीन थी। अब इसके पास बीसों बीघा जमीन कहां से आ गई? इसके विद्यालय की जो जमीन है। सरकारी है। वहां प्राइवेट विद्यालय कैसे चल रहा है? जिलाधिकारी भदोही के द्वारा इन सब मामलों पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण इन लोगों की मनमानी चरम सीमा पर बढ़ती चली जा रही है। पिछले दिनों जिला अधिकारी ने ज्ञानपुर तहसील के परगना अधिकारी को भू माफियाओं के कब्जे से जमीन खाली करने का निर्देश दिया है। लेकिन इस भूमाफिया ने जिन जमीनों पर कब्जा कर रखा है। उन जमीनों को खाली करने की प्रक्रिया अभी तक नहीं शुरू की गई जिससे जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है।

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