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दिव्यांग दलित भूमि का मामला: जांच अधिकारी की जांच पर उठे सवाल!

दिव्यांग दलित का शोषण उत्पीड़न करने वालों पर कब होगी कार्रवाई? 

योगी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लेखपाल और कानूनगो! 

फर्जी पत्रावली के जरिए निर्दोष किसानों का हो रहा है, तहसील में भयानक उत्पीड़न और शोषण!

भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के जरिए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले लेखपाल और कानूनगो के खिलाफ कार्रवाई की मांग!

लेखपाल और कानूनगो के पास मौजूद है करोड़ों की बेनामी संपत्ति और काले धन का भारी जखीरा!

विशेष संवाददाता 

भदोही। तहसील स्तर पर कानूनगो एवं लेखपाल के द्वारा चलाया जा रहा समानांतर भ्रष्ट प्रशासन योगी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। मामूली जमीन के मालिक अचानक देखते ही देखते बीसों एकड़ जमीन के मालिक कैसे हो गए? इस मामले में जांच अधिकारी द्वारा सही जांच करने के बजाय लीपा पोती कर रहे रहे है। जिससे किसानों में भारी रोष व्याप्त है।

दिव्यांग दलित मल्लू की जमीनों का फर्जी कागज बनवाकर इन लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया है जिससे बेचारा दिव्यांग दलित मल्लू न्याय पाने के लिए पिछले कई साल से दर दर की ठोकरे खां रहा है। उसके ऊपर तहसील प्रशासन के अत्याचार से विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा है। दिव्यांग दलित की कोई मदद नहीं किए जाने के कारण जिलाधिकारी भदोही के प्रति लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।

आम जनता चाहती है की तहसीलों का प्रशासन पारदर्शी एवं रिश्वतविहीन हो। लेकिन सरकारी नियमों को बलाए ताक पर रखते हुए भदोही जनपद में कानूनगो इंदु तिवारी और लेखपाल सर्वेश शुक्ला व इटहरा का भू-माफिया पूर्व लेखपाल ने भयानक अराजकता फैला रखी है।
पूर्व रिटायर लेखपाल जो कि क्षेत्र का भूमाफिया बना हुआ है और हल्का लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी पुरानी जमींदारी प्रथा के हिसाब से मनमाने कानून बनाकर काश्तकारों के साथ जालिमाना बर्ताव कर रहे हैं। इनकी नाजायज हरकतों से क्षेत्र में त्राहि त्राहि मची हुई है। उनकी भ्रष्टाचार परक कार्यशैली से किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इनकी मनमानी के कारण लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार फैलाने वाले इन कानूनगो और लेखपाल के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने की लोगों ने मांग की है।

भदोही जनपद ग्राम सभा इटहरा कोनिया ज्ञानपुर भदोही का लेखपाल सर्वेश शुक्ला एवं कानूनगो इंदु तिवारी, कानून को धता बताकर कानून के राज को ही खत्म करने पर आमादा है।

लेखपाल और कानूनगो की मनमानी से यह साबित होता है कि जब तक सख्त कानूनी कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक कानून के राज की वापसी मुश्किल है।

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