दशकों से उपेक्षा की शिकार देववाणी संस्कृत का कायाकल्प कर रही है योगी सरकार
माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की सूरत में बदलाव और राजकीय आवासीय संस्कृत विद्यालय की स्थापना में प्रयागराज को भी मिली जगह
संस्कृत को रोजगार से जोड़ने के लिए भी शुरू किए जा रहे हैं रोजगार परक कार्यक्रम
विशेष संवाददाता
प्रयागराज, संयम भारत,02 नवंबर,उत्तर प्रदेश में दशकों से सरकारों के उपेक्षा का शिकार रही देववाणी संस्कृत भाषा को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार सम्मान देने के साथ उसके प्रसार के लिए भी प्रयत्न कर रही है । सरकार संस्कृत के प्रोत्साहन के लिए रोजगार पाठ्यक्रमों से जोड़ रही है तो वहीं संस्कृत की शिक्षा ले रहे छात्रों को आवासीय सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है ।
प्रोजेक्ट अलंकार के अंतर्गत संस्कृत को मिल रही है सहूलियत
योगी सरकार उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की सूरत बदलने जा रही है। प्रोजेक्ट अलंकार के अंतर्गत सरकार ने 50 साल से अधिक पुराने संस्कृत विद्यालयों के लिए पहले सरकार ने जीर्णोद्धार पर आने वाले खर्च की 50 फीसदी राशि प्रबंधन द्वारा वहन करने की जो शर्त रखी थी उसे संशोधित कर दिया गया है। अब यह सीमा 5 फीसदी कर दी गई है। इसी के साथ ही इनके जीर्णोधार के लिए सरकार ने ₹100 करोड़ से अधिक का बजट आबंटित कर दिया है। इसके चलते अब तक 22 करोड़ के प्रस्ताव शिक्षा निदेशालय को प्राप्त हो चुके हैं । उत्तर प्रदेश में बस्ती, मुजफ्फरनगर ,सोनभद्र ,अंबेडकर नगर, गोंडा ,गोरखपुर ,बलरामपुर और महाराजगंज से ₹22 करोड़ के प्रस्ताव शासन को मंजूरी के लिए भेजे जा चुके हैं।
राजकीय आवासीय संस्कृत विद्यालयों की होगी स्थापना,
उत्तर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा दे रही योगी सरकार ने धार्मिक महत्व वाले जिलों में राजकीय आवासीय संस्कृत विद्यालय संचालित करने जा रही है। आम स्कूल की ही तरह इन आवासीय संस्कृत विद्यालय में बच्चों को कई सुविधाएं मिलेंगे । इनमे स्मार्ट क्लास के माध्यम से छात्रों को संस्कृत भाषा की शिक्षा दी जाएगी ।
प्रदेश में पहली बार राजकीय आवासीय संस्कृत विद्यालय संचालित किए जाएंगे। इसके लिए धार्मिक महत्व के जिलों को चुना गया है जहां धार्मिक अनुष्ठान या आयोजन व्यापक स्तर पर होते हैं और संस्कृत विद्वानों की अधिक आवश्यकता रहती है । जिन धार्मिक नगरों
को इसमें जगह मिली है उसमें प्रयागराज भी शामिल है। प्रयागराज में विद्यालय की स्थापना के लिए भूमि उपलब्ध करा दी गई है। अभी प्रदेश में कहीं भी राजकीय आवासीय विद्यालय संस्कृत के लिए नहीं है। धार्मिक अनुष्ठान ,कर्मकांड और पूजा पाठ आदि के लिए विशेषज्ञ विद्वानों की कमी को देखते हुए योगी सरकार ने इसका फैसला लिया है। उप शिक्षा निदेशक संस्कृत सी एल चौरसिया का कहना है कि धार्मिक अनुष्ठान कर्मकांड पूजा पाठ आदि के लिए विशेषज्ञ विद्यालयों की कमी को देखते हुए राजकीय आवासीय विद्यालयों की स्थापना का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया था । शासन के निर्देश पर अब विद्यालय स्थापना के लिए भूमि उपलब्ध हो गई है ।
टेक्नोक्रेट्स भी सीखेंगे देववाणी संस्कृत,माध्यमिक शिक्षा परिषद के अलावा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं छात्रों को भी संस्कृत सिखाई जाएगी । प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरएस वर्मा बताते हैं कि नई शिक्षा नीति के तहत एमएनआईटी ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहयोग से एक गैर औपचारिक संस्कृत शिक्षा केंद्र की स्थापना की है ,यह केंद्र संस्कृत भाषा में सर्टिफिकेट कोर्स कराएगा । उनका कहना है कि छात्रों को वेद, पुराण और उपनिषदों में छिपे विज्ञान से परिचित कराने में संस्कृत मददगार साबित होगी। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास के साथ विद्यार्थियों को मूल आधारित शिक्षा और संस्कृति से जोड़ने पर जोर दिया गया है। इसी को ध्यान में रखकर एमएनआईटी ने बीटेक प्रथम वर्ष में वेद ,उपनिषद ,वैदिक ज्ञान , संस्कृत ,योग -आयुष आदि विषयों को शामिल किया है ।