पुस्तक समीक्षा : सहजन- एक चमत्कारी वृक्ष
विशेष संवाददाता संयम भारत, डॉ. पिंकी जोवल (आई.ए.एस.) सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य, उ.प्र. सरकार और दिविजय त्रिवेदी द्वारा लिखित पुस्तक “सहजन- एक चमत्कारी वृक्ष (Moringa Oleifera: Transpiring the Miracle Tree)” हाल ही में प्रकाशित हुई है, जिसकी समीक्षा डॉ. अनिरुद्ध रावत (शिक्षक, लेखक एवं समीक्षक) ने की है। यह पुस्तक आज के दौर में स्वास्थ्य, पोषण और पर्यावरण की बढ़ती जागरूकता को ध्यान में रखते हुए लिखी गई है और पाठकों को सरल, भरोसेमंद और व्यावहारिक जानकारी प्रदान करती है।पुस्तक सहजन यानी मोरिंगा के अद्भुत गुणों को विस्तार से समझाती है और यह बताती है कि यह वृक्ष न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों, पर्यावरण और समाज के लिए भी वरदान साबित हो सकता है। इसमें जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं—हवा, पानी और भोजन—की अहमियत पर प्रकाश डाला गया है और आहार, मानसिक ऊर्जा व सोच के बीच के गहरे संबंध को सरल शब्दों में समझाया गया है।लेखकों ने सहजन को प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों और परंपरा से जोड़ते हुए इसके औषधीय महत्व को स्पष्ट किया है। पुस्तक यह दर्शाती है कि सहजन को रोजमर्रा के भोजन में आसानी से शामिल किया जा सकता है, जैसे सलाद, सूप या नूडल्स में। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन कम करने और माताओं में दूध की वृद्धि जैसे लाभों का उल्लेख है।भूख और कुपोषण जैसी गंभीर चुनौतियों पर भी पुस्तक प्रकाश डालती है और सहजन की खेती को समाधान के रूप में प्रस्तुत करती है। सहजन की विशेषता यह है कि यह गरीब मिट्टी और सूखी जलवायु में भी उग सकता है, साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। यही कारण है कि यह पुस्तक न केवल छात्रों, आहार विशेषज्ञों और चिकित्सकों के लिए, बल्कि किसानों, नीति-निर्माताओं और आम पाठकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है।सरल भाषा, प्रेरक उद्धरण और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए प्रासंगिक है जो स्वास्थ्य, पोषण और प्रकृति के बीच संतुलन को समझना चाहता है। सहजन को भारत के विजन 2047 से जोड़ते हुए लेखक यह संदेश देते हैं कि आज के छोटे कदम भविष्य में बड़े बदलाव ला सकते हैं।यह पुस्तक न केवल ज्ञानवर्धक है बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित भी करती है।