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प्रमाणित होने के बावजूद पूर्व लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं?

 

दस बिस्वा का काश्तकार कैसे बन गया बीसों बीघा जमीन का मालिक?

भू माफिया के सामने प्रशासन क्यों है बेबस?
शिक्षा विभाग के अधिकारी क्यों नहीं कर रहे हैं कार्रवाई?

ग्राम प्रधान द्वारा प्रस्ताव पास होने के बावजूद भी क्यों नहीं हो रही कार्रवाई?

हल्का लेखपाल और कानूनगो भू-माफिया के विरुद्ध रिपोर्ट न देकर मुख्यमंत्री के आदेश को दिखा रहे हैं ठेंगा!

क्यों खामोश है तहसील एवं जिला प्रशासन?

भू-माफिया रिटायर लेखपाल के इशारे पर क्या चल रहा है तहसील प्रशासन?

विशेष संवाददाता

भदोही, ज्ञानपुर। ज्ञानपुर तहसील में तैनात रहे एक लेखपाल कमला शंकर मिश्रा एवं उसके गिरोह के खिलाफ सारे प्रमाण अधिकारियों को उपलब्ध कराए जा चुके हैं। उसके बावजूद उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। इसे लेकर क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं।
पता चला है कि ज्ञानपुर तहसील में तैनात रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान किसानों की जमीनों में हेरा फेरी करते हुए सैकड़ो एकड़ जमीन इधर से उधर कर दी। दस बिस्वा का काश्तकार देखते ही देखते बीसों बीघा जमीन का मालिक कैसे बन गया? इन सब चीजों से संबंधित सारे प्रमाण उच्च अधिकारियों को उपलब्ध करा दिए गए हैं। शिकायतकर्ताओं द्वारा सभी साक्ष्य भी अधिकारियों को दिए गए हैं। लेकिन प्रमाण मिलने के बावजूद पूर्व लेखपाल कमला शंकर मिश्रा के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई। यह जांच का विषय है। लोगों का कहना है कि कमला शंकर मिश्रा यह दावा करता है कि रिश्वतखोरी के बल पर उसने जो पैसा कमाया है। उस पैसे की मदद से अधिकारियों को खरीद लेता है। इस वजह से शिकायतकर्ताओं की जांच दबी रह जाती है। पिछले 15 वर्षों से लोग लगातार उसके विरुद्ध शिकायत पर शिकायत कर रहे हैं। लेकिन भदोही जिला प्रशासन एवं ज्ञानपुर तहसील प्रशासन कुंभकरण नींद में क्यों सोया हुआ है। इसे लेकर स्थानीय जनता में इस तरह-तरह की चर्चाएं भी चल रही है। सारे प्रमाण उपलब्ध करा दिए जाने के बावजूद यह माफिया खुलेआम घूम रहा है। क्षेत्र के चर्चित माफिया सरगना के गैंग में शामिल हो कर ये ज्ञानपुर तहसील के भोले वाले किसानों को डरा धमकाकर उनकी जमीनों पर अवैध कब्जा करता चला जा रहा है।
इसके द्वारा सरकारी जमीनों पर भी अवैध कब्जा कर लिया गया है। इसके द्वारा जिन जमीनों पर कब्जा किया गया है। उनकी पूरी सूची परगना अधिकारी ज्ञानपुर को दे दी गई है। लेकिन परगना अधिकारी ज्ञानपुर द्वारा इसके अवैध कब्जे में फंसी हुई जमीनों को मुक्त कराकर किसानों को वापस अभी तक क्यों नहीं किया गया? इसी बात को लेकर लोगों में भारी रोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि इसके खिलाफ आए दिन लोग शिकायती पत्र भेजते रहते हैं। शिकायती पत्र जब उच्च अधिकारियों के पास जाता है। तो वे जांच करने के लिए परगना अधिकारी ज्ञानपुर के पास भेज देते हैं और परगना अधिकारी ज्ञानपुर के बारे में रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्रा, लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदु तिवारी का दावा है कि ज्ञानपुर तहसील में जो मैं चाहूंगा वही होगा । इस वजह से इनकी मनमानी चरम सीमा पर है और यह जो तहसील में चाहते हैं। वही होता है।
जिस वजह से एसडीएम के द्वारा इन लोगों के विरुद्ध शिकायत प्राप्त होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती। लोगों का यह भी कहना है कि ज्ञानपुर तहसील के एसडीएम को यह पता है की कमला शंकर मिश्रा पहले दस विश्वा जमीन का मालिक था। इसके पास ही बीसों बीघा जमीन कहां से आई और सारे साक्षी मिलने के बावजूद एसडीएम ज्ञानपुर द्वारा इसके विरुद्ध नृत्य कोई कार्रवाई की जा रही है और नहीं इसके कब्जे में जो किसानों की जमीन है। उसको खाली कराया जा रहा है। पिछले दिनों जिलाधिकारी भदोही ने एक बैठक में निर्देश दिया है कि भू माफियाओं के कब्जे से जमीन खाली कराई जाए और जिन सरकारी जमीनों पर उनका अवैध कब्जा है। उसको हटाया जाए। लगभग आधा दर्जन लोगों ने शिकायती पत्र भेज कर बताया है कि पूर्व लेखपाल कमला शंकर मिश्रा क्षेत्र का चर्चित भू-माफिया है। इसने पंचायत भवन ग्राम समाज की जमीनों पर अवैध कब्जा करके वहां विद्यालय खोल दिया है और उस एक भवन में चार-चार विद्यालयों की मान्यता ले रखी है। यह तथ्य परगना अधिकारी ज्ञानपुर के संज्ञान में आने के बावजूद उन्होंने आज तक कोई क्यों करवाई नहीं किया?
परगना अधिकारी ज्ञानपुर के मौन रहने से जनता में खासी नाराजगी है।
इसी वजह से आज तक इस बात की जांच नहीं की गई की तैनाती के दौरान इसी के गांव का प्रभार इसको क्यों दिया गया?
शिक्षा विभाग के अधिकारी भी कमला शंकर मिश्रा के कारनामों की जांच करने से कतरा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें ग्राम पंचायत ग्राम समाज, खेल कूद, दिव्यांग दलित की जमीन कब्जा कर उसे अपने पिता भाई आदि के नाम से चढ़वा दिया और जमीन पर एक भवन बड़ा सा बनवा करके उस भवन के पते से चार विद्यालयों की मान्यता प्राप्त करने की शिकायत शिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी की गई। लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक शिक्षा अधिकारी और माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारी इसके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? क्या एक ही पते से चार-चार विद्यालयों की मान्यता दी जा सकती है। इस बात को लेकर लोगों ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजा है और यह कहा है कि क्या ज्ञानपुर तहसील में रिटायर लेखपाल का शासन चल रहा है। जो इसके विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो रही है। सारे आरोप प्रमाणित हो जाने के बाद इसको अभी तक दंडित क्यों नहीं किया गया? सबसे बड़ा सवाल यही है! लोगों का यह कहना है की कुंभ मेले की वजह से अधिकारियों की व्यस्तता का यह लाभ उठाते हुएअपने विरुद्ध एकत्र किए गए साक्ष्यों को मिटाने में लगा है। जो लोग शिकायत कर रहे हैं। उन शिकायतकर्ताओं को भी ये डरा धमका रहा है। सूत्रों द्वारा पता चला है कि बसंत पंचमी के बाद इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होने की पूरी संभावनाएं हैं और इसके जितने भी अवैध कब्जे हैं। सबको हटाए जाने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

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