रिटायर लेखपाल के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा खुला!
पूर्व लेखपाल कमला शंकर मिश्र की माफियागर्दी एवं काले कारनामों को पता नहीं क्यों दबा रहा है प्रशासन!
पूर्व लेखपाल के खिलाफ सन 2009 में दिए गए थे जांच के आदेश!
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दिए गए निर्देश का बीएसए भदोही द्वारा नहीं किया गया पालन!
बिना रजिस्ट्री के फर्जी कागज से स्कूल की मान्यता का मामला!
अनुसचिव मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश शासन के आदेश को 14 साल से दिया वनवास!
जिलाधिकारी भदोही को भी दिए गए थे कार्रवाई के निर्देश!
भदोही जिले का भूमाफिया रिटायर लेखपाल सीएम, डीएम पर भारी!
विद्यालय के नाम भूमि नहीं, ले ली स्कूल की फर्जी मान्यता!
शिक्षा विभाग में चल रहे गोरख धंधे का सबूत है रिटायर लेखपाल का स्कूल!
16 साल से लगातार हो रही है भू माफिया रिटायर लेखपाल के खिलाफ शिकायतें!
परगनाधिकारी ज्ञानपुर तहसील में रिटायर लेखपाल का माफिया राज!
रिटायर लेखपाल के पास कैसे आ गई बीसों बीघा जमीन?
माफिया सरगना के गिरोह को संचालित कर रहा है रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्रा!
रिटायर लेखपाल बना क्षेत्र का भू माफिया, चल रहा है गुंडाराज!
जिसे ग्राम सभा ने भू माफिया घोषित किया, उसकी जमीन से अवैध कब्जा हटाने में आनाकानी कर रहा है तहसील प्रशासन!
भू-माफिया के काले कारनामों में सन् संलिप्त है कानूनगो इंदु तिवारी और लेखपाल सर्वेश शुक्ला, पंकज त्रिपाठी जांच की मांग!
विशेष संवाददाता
भदोही, ज्ञानपुर। ज्ञानपुर तहसील में तैनात रह चुका एक रिटायर लेखपाल कमला कमला शंकर मिश्रा के काले कारनामों का कच्चा चिट्ठा खुलने के बाद पूरे जनपद में सनसनी फैल गई है। लोगों को यह आश्चर्य हो रहा है कि यह रिटायर लेखपाल अपने कार्यकाल के दौरान ऊपर से नीचे लेकर भारी हेरा फेरी करते हुए करोड़ों की जमीन इधर से उधर करता रहा और भदोही जिले के जिला अधिकारी तथा परगना अधिकारी ज्ञानपुर हाथ पैर हाथ धरे बैठे रहे।
दस बिस्वा जमीन का मालिक अचानक देखते ही देखते बसों बीघा जमीन का मालिक हो गया। इसके काले कारनामों की पिछले 15 से 16 वर्षों से लगातार शिकायतें की जा रही है। लेकिन भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने इसके खिलाफ आई शिकायतों को ही बनवास दे दिया। कोई कार्रवाई नहीं की।
रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्रा के खिलाफ जुलाई सन 2009 में जिलाधिकारी तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी को प्रार्थना पत्र दिए जाने के साथ ही मुख्यमंत्री को भी शिकायती पत्र भेजा गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात तत्कालीन अनुसचिव ने इस संबंध में जिलाधिकारी भदोही एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भदोही को पत्र भेजकर इसके विद्यालय की फर्जी मान्यता की जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इसके द्वारा कई बीघा जमीन पर अवैध कब्जा किए जाने के बारे में भी कार्रवाई के आदेश दिए गए थे।
बड़े आश्चर्य की बात है कि पिछले 15 से 16 वर्षों से रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्रा के खिलाफ स्थानीय जनता के द्वारा लगातार शिकायत की जाती रही। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण इसके हौसले बुलंद होते गए और इसने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के बल पर बहुत बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर दिया है। लोगों की जमीन इधर से उधर करके इसलिए करोड़ों रुपए की अवैध कमाई है और इसी काले धन के बल पर इसने मनमाने तरीके से फर्जीवाड़ा करता रहा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय में तैनात अधिकारियों को मिलाकर इसने विद्यालय के नाम से बिना रजिस्ट्री वाले कागजात जमा किये फर्जी अभिलेखों के आधार पर स्कूल की मान्यता ले ली। जब इस मामले की शिकायत की गई तो संबंधित अधिकारियों ने मामले पर लीपापोती करते हुए फाइल को दबा दिया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसी भी विद्यालय को मान्यता तब दी जा सकती है। जब उसके अथवा उसके संस्था द्वारा संचालित विद्यालय के नाम से भूमि की रजिस्ट्री हो। अगर भूमि की रजिस्ट्री विद्यालय के नाम से नहीं है। तो उस विद्यालय को मानता नहीं दी जा सकती। कमला शंकर ने विद्यालय के नाम बिना किसी रजिस्ट्री के फर्जी ढंग से स्कूल की मान्यता ले ली और आज भी इसका स्कूल चल रहा है।
ग्राम सभा में चकबंदी से पहले भू माफिया कमला शंकर मिश्रा के पास मात्र दस बिस्वा जमीन थी। चकबंदी के बाद इसके पास बीसों बीघा जमीन कैसे आ गई? इस बात की शिकायत दर्जनों बार किए जाने के बावजूद प्रशासन द्वारा अभी तक इससे पूछताछ नहीं की गई कि इतनी जमीन इसके पास कहां से आई?
इसके द्वारा अर्जित की गई अवैध संपत्ति को जब्त करते हुए जिन जमीनों पर इसने गैर कानूनी तरीके समेत कब्जा किया है। उस अवैध कब्जे को हटाए जाने के लिए प्रशासन को सख्त कार्रवाई करना चाहिए। अवैध कब्ज़ा हटाए जाने की बात तो दूर रही। सही तरीके से इससे पूछताछ ही नहीं हो पा रही है। सूत्रों का कहना है की रिश्वतखोरी के बल पर इसलिए करोड़ों रुपए जो काला धन जमा किया है। जिसकी वजह से परगना अधिकारी कोई भी हो इसके विरुद्ध नहीं जाते।
इसके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय रिटायर लेखपाल भू माफिया के कुकर्मों पर पर्दा डाल रहे हैं।उसके पक्ष में मनगढ़ंत रिपोर्ट लगाकर उसे बचाने में लगे हैं। जिससे ज्ञानपुर तहसील में जेल में बंद माफिया का गुंडाराज कायम है। क्योंकि जेल में बंद शातिर माफिया के गिरोह को इस समय कमला शंकर मिश्रा ही चला रहा है। गिरोह से जुड़े हुए जितने भी अपराधी हैं। उनको सारी सुविधा उपलब्ध कराता है।
जो लोग इसके इशारे पर नहीं चलते हैं। उनको डराने धमकाने की धमकियां देता है। भू-माफिया कमला शंकर मिश्रा अपनी माफियागर्दी कायम करने के लिए पंकज त्रिपाठी जैसे गुण को सुविधा उपलब्ध कराता है। इसके तमाम आपराधिक कारनामों का खुलासा होने के बावजूद जिला एवं पुलिस प्रशासन द्वारा इसके विरुद्ध कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? यह बड़े आश्चर्य की बात है?
यह भी पता चला है कि ग्राम सभा ने रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्रा के द्वारा माफियागर्दी के द्वारा किसानों की कब्जा की गई जमीनों पर से अवैध कब्जा हटाने तथा इसको भू माफिया घोषित करने का प्रस्ताव पास करके जिलाधिकारी एवं परगना अधिकारी ज्ञानपुर को भेजा था। लेकिन इसे अभी तक भू माफिया क्यों नहीं घोषित किया गया? इसकी हिस्ट्री शीट क्यों नहीं खोली गई? इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करके जेल क्यों नहीं भेजा गया? फर्जीवाड़ा करके इसने जो जमीन कब्जा किए हैं?वह जमीनों से इसका कब्जा क्यों नहीं हटाया जा रहा है? यह सब ऐसे अनुत्रित प्रश्न है जिसकी वजह से परगना अधिकारी ज्ञानपुर की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है! यह दावा करता है कि परगना अधिकारी कोई भी आए। जो मैं चाहूंगा वही होगा,यही कारण है कि पिछले 20 वर्षों से ज्ञानपुर तहसील में समानांतर प्रशासन चल रहा है।
इसके गुंडाराज से ज्ञानपुर तहसील के किसानों को न्याय मिलने की बात तो दूर उनकी जमीने तक नहीं बच पा रही है।
यही नहीं इसने एक दोनों आंखों से दिव्यांग दलित मल्लू की जमीन पर अवैध कब्जा करके वहां आलीशान मकान बनवा दिया है। बेचारा दिव्यांग दलित मल्लू दर-दर की ठोकरे खा रहा है। शिकायत कर करके थक गया है। लेकिन उसकी शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो एक बार कहते हैं कि भू माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। रोज उनके बयान आते रहते हैं। लेकिन उनके बयान का असर ज्ञानपुर तहसील पर क्यों नहीं हो रहा है? ज्ञानपुर तहसील में विजय मिश्रा की ओर से जुड़े कमला शंकर मिश्रा का समानांतर प्रशासन क्यों चल रहा है? इसका उत्तर देने वाला भदोही जिले में कोई नहीं है! जेल में बंद होने के बावजूद विजय मिश्रा के सारे काले धंधे कमला शंकर मिश्रा संचालित कर रहा है। इसके खिलाफ गिरोह अधिनियम के तहत कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जाना चाहिए। लेकिन ये आज भी तहसील में बैठकर तहसील प्रशासन को संचालित कर रहा है। ज्ञानपुर तहसील में यह जो चाहता है। इसी की मर्जी से सारे काम होते हैं और इसने ज्ञानपुर तहसील में बहुत बड़ा रैकेट बना लिया है।
इसके रैकेट में लेखपाल सर्वेश शुक्ला कानूनगो इंदू तिवारी शामिल हैं। कमला शंकर मिश्रा लेखपाल के पद पर जब तक ज्ञानपुर तहसील में तैनात था। इसने धुआंधार मनमानी की और काश्तकारों की जमीन पर अवैध कब्जा किया। फिर उसके बाद जब यह रिटायर हो गया तो माफियाओं का लंबा गिरोह बनाकर इसने उसमें लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदु तिवारी को शामिल कर दिया। अब बाहर रहकर सारी चाल ये चलता है। लेखपाल सर्वेश शुक्ला कानूनगो इंदू तिवारी इसके मोहरे बने हुए हैं। यह सब मिलकर पूरे ज्ञानपुर तहसील प्रशासन को अपने इशारे पर नचा रहे हैं। जिलाधिकारी भदोही यहां पर व्याप्त माफियागर्दी के खिलाफ कार्रवाई कब करेंगे? यही लोगों के सामने सबसे बड़ा सवाल है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी सवालों के घेरे में है। जिला विद्यालय निरीक्षक, बेसिक शिक्षा अधिकारी और माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारी जब यह जानते हैं कि किसी भी निजी विद्यालय की मान्यता के लिए उसे विद्यालय के नाम पर भूमि की रजिस्ट्री होना जरूरी है। तो जब कमला शंकर मिश्रा के स्कूल के नाम से जमीन की रजिस्ट्री के बगैर कैसे उसकी मान्यता दे दी गई और मान्यता दिए जाएं दिए जाने के बाद गलत तरीके से मान्यता दिए जाने की शिकायत अधिकारियों से की गई। शिकायत किए हुए आज 15 वर्ष बीत गए। लेकिन कोई कार्रवाई न होने से साफ पता चलता है कि रिश्वतखोरी के बल पर इसने भ्रष्टाचारियों का पूरा रैकेट बना रखा है और भारी रकम खर्च करके मनमाने तरीके से गलत काम करवा रहा है। नियम कानून को ताक पर रखते हुए इसने ज्ञानपुर तहसील भदोही जिले में अंधेरगर्दी मचा रखी है। माफियागर्दी के द्वारा इसने जो संपत्ति अर्जित किया है। जिनकी सीबी सी आईडी से जांच कराई जाए तो पता चल जाएगा कि इसके पास करोड़ों की संपत्ति है। इसका नार्को टेस्ट कराया जाए तो और भी कई मामलों का खुलासा हो सकता है। इसने लोगों की जमीनों पर कब्जा करने के लिए जो फर्जीवाड़ा करके एक की जमीन दूसरे को दे दी। इसकी वजह से गांव में लोगों में एक दूसरे के बीच रंजिश उत्पन्न हो गई है। इस रंजिश के चलते आए दिन क्षेत्र में लड़ाई झगड़ा होता रहता है। क्षेत्र की शांति भंग हो रही है। पैसा कमाने के लिए इसने फर्जी कागजात तैयार करके लोगों की जमीन इधर से उधर की। इस मामले की परगना अधिकारी ज्ञानपुर द्वारा जांच क्यों नहीं की जा रही है? यह बड़े आश्चर्य की बात है। इससे इस बात को बल मिल रहा है कि क्या वास्तव में रिटायर लेखपाल कमला शंकर मिश्र और कानूनगो इंदू तिवारी तथा वर्तमान लेखपाल सर्वेश शुक्ला अपने मन मर्जी कार्य करते हैं।