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भदोही मे कानूनगो और लेखपाल चला रहे हैं समानांतर तहसील प्रशासन!

  • योगी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां उड़ा रहे हैं लेखपाल और कानूनगो! 
  • फर्जी पत्रावली के जरिए निर्दोष किसानों का हो रहा है तहसील में भयानक उत्पीड़न और शोषण!
  • भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के जरिए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले लेखपाल और कानूनगो के खिलाफ कार्रवाई की मांग! 
  • लेखपाल और कानूनगो के पास मौजूद है करोड़ों की बेनामी संपत्ति और काले धन का भारी जखीरा!

विनय मिश्र/ विशेष संवाददाता

प्रयागराज/भदोही। तहसील स्तर पर कानूनगो एवं लेखपाल के द्वारा चलाया जा रहा समानांतर भ्रष्ट प्रशासन योगी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।
आम जनता चाहती है की तहसीलों का प्रशासन पारदर्शी एवं रिश्वतविहीन हो। लेकिन सरकारी नियमों को बलाए ताक पर रखते हुए भदोही जनपद में एक कानूनगो और लेखपाल ने भयानक अराजकता फैला रखी है।
हल्का लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी पुरानी जमींदारी प्रथा के हिसाब से मनमाने कानून बनाकर काश्तकारों के साथ जालिमाना बर्ताव कर रहे हैं। इनकी नाजायज हरकतों से क्षेत्र में त्राहि त्राहि मची हुई है। उनकी भ्रष्टाचार परक कार्यशैली से किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इनकी मनमानी के कारण लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार फैलाने वाले इन कानूनगो और लेखपाल के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने की लोगों ने मांग की है।
भदोही जनपद ग्राम सभा इतरा कोनिया ज्ञानपुर भदोही का लेखपाल सर्वेश शुक्ला एवं कानूनगो इंदु तिवारी, कानून को धता बताकर कानून के राज को ही खत्म करने पर आमादा है। इनकी मनमानी ही यहां कानून बन गया है। ग्राम इटहरा, थाना कोइरौना, जनपद भदोही के पीड़ित किसान शारदा प्रसाद तिवारी इसका जीता जागता उदाहरण है।

अभी पिछले दिनों एक विधायक द्वारा तहसीलों और थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना दिया गया। धरने के दौरान आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश की तहसीलों और थानों में रिश्वतखोरी चल रही है। यह बात भदोही जनपद के ग्राम सभा इटहरा कोनिया ज्ञानपुर भदोही के लेखपाल सर्वेश शुक्ला एवं कानूनगो इंदु तिवारी के ऊपर शत प्रतिशत लागू होता है।

आय से अधिक संपत्ति का मामला

यह दोनों राजस्व अधिकारी सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए क्षेत्र में भयानक राजकता फैलाए हुए हैं। रिश्वतखोरी के बल पर इन लोगों ने करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति जमा कर रखी है। आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने के कारण इन सब को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाना चाहिए। लेकिन रिश्वतखोरी के बल पर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति बटोरने वाले इन लेखपाल और कानून को के विरुद्ध बार-बार शिकायत किए जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण इनके हौसले बुलंद है। सरकारी कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कूटरचित दस्तावेज तैयार करके हेरा फेरी करने के मामले में यह दोनों सिद्धहस्त हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय, जिलाधिकारी, आईजी डीआईजी, एसडीएम के आदेश के खिलाफ अपनी मर्जी से फर्जी आदेश तैयार करके क्षेत्र के काश्तकारों का भयानक उत्पीड़न कर रहे हैं।
किसी भी किसान की जमीन का फर्जी का पत्रावली कागज तैयार करके दूसरे के नाम से कर देना, इन लोगों के लिए बाएं हाथ का खेल है। राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी करके यह लोग हजारों करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित कर चुके हैं। ईडी, सीबीआई और पुलिस आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा के द्वारा इनके गुप्त ठिकानों पर छापामार करके वहां मौजूद साक्ष्यों को एकत्र करने के साथ उनके कारनामों के विरुद्ध जांच कराई जाए। तो करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति का खुलासा हो सकता है। इन सब के घर की तलाशी लेने पर बोरो, रजाई, गद्दा, तकिया, दीवार की आलमारी आदि में छुपा कर रखी गई काले धन से भरी हुई नोटों की गड्डियां बरामद हो सकती हैं।
सूत्रों का कहना है कि शिकायत करने के बाद इन लोगों ने अपने काले धन को अपने रिश्तेदारों के यहां छुपा दिया है। फिर भी अगर छापेमारी हो तो यह सब काले धन की भारी रकम के साथ रंगे हाथों गिरफ्त में आ सकते हैं।

इतने भ्रष्टाचार के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं 

यह कितने बड़े आश्चर्य की बात है कि जिस लेखपाल और कानूनगो के विरुद्ध भ्रष्टाचार की प्रामाणिक शिकायतें हो। उसके बावजूद उसे आज तक निलंबित नहीं किया गया! न ही उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। लोगों में गलत संदेश जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में लेखपाल और कानूनगो का राज चल रहा है। यह लोग मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे जीरो टॉलरेंस अभियान की धज्जियां उड़ाते हुए रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को धुआंधार बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि क्षेत्र में लेखपाल और कानूनगो राज चल रहा है। संविधान और सरकार का इन्हें कोई भय ही नहीं है । न जाने कितने किसानों की जमीन का इन लोगों ने फर्जी कागजात तैयार करके सैकड़ो एकड़ भूमि इधर से उधर करवा डाली है और इसके जरिए इन लोगों ने भारी धनउगाही की है। इन लोगों के कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों की विधिवत जांच कराई जाए, तो हजारों करोड रुपए के राजस्व घोटाले और रिश्वतखोरी का भंडाफोड़ हो सकता है। व्यापक पैमाने पर की गई शिकायत तथा समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित होने के बावजूद लेखपाल सर्वे शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होने से ऐसा लगता है की रिश्वतखोरी के बल पर यह लोग कार्रवाई पर रोक लगवा लेते हैं। जिसकी वजह से यह सब बचे हुए हैं। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के कारण इन लोगों के विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करके तत्काल गिरफ्तारी कर दी जाए तो बहुत बड़े पैमाने पर सक्रिय भू माफिया रैकेट का भंडाफोड़ हो सकता है। निर्दोष किसानों की काश्तकारी भूमि इधर से उधर करके यह लोग माफियागर्दी को बढ़ावा दे रहे हैं। उच्च न्यायालय से रोक लगी होने के बावजूद यह लोग न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए भयंकर मनमानी कर रहे हैं। जिससे आम जनता का तहसील और तहसील के स्वच्छ प्रशासन पर से विश्वास समाप्त होता जा रहा है।
इस मामले में पीड़ित पक्षकारों का यह भी कहना है कि ये भ्रष्टाचारी लोग यही तक नहीं रूके। बल्कि जिस समूचे चक के संबंध में हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश पारित किया था। उसी समय के अन्तर्गत ही चक में भिन्न भिन्न नामों से अलग अलग लोगों का नाम गलत ढंग से नाम दर्ज करके नियम कानून को बलाए ताक पर रखकर राजस्व संहिता के नियमों का खुला मजाक उड़ाते हुए उसकी धज्जियां उड़ा दी। असली काश्तकार की जमीन दूसरे काश्तकार को दे दी। तमाम लोग ऐसी शिकायतें लेकर इधर से उधर दौड़ रहे हैं। लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। विपरित चक बना दिये दिए जाने से कई गांव में आपसी रंजिश बढ़ रही है। क्षेत्र में शांति व्यवस्था भंग होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। यह लोग तो रिश्वत लेकर मनमानी तरीके से किसी की जमीन, किसी दूसरे को दे देते हैं। बाद में इसको लेकर आम जनता के बीच खूनी संघर्ष होता है। इस तरह से यह दोनों हल्का लेखपाल और कानूनगो क्षेत्र में शांति व्यवस्था के लिए भी भारी चुनौती बन गए हैं। इनकी वजह से कई बार लोगों में आपस में झगड़ा हो चुका है और अभी भी कई जगह झगड़ा होने की उम्मीद बनी हुई है। यदि इनको दंडित नहीं किया गया तो क्षेत्र में भारी पैमाने पर हिंसा हो सकती है। कानून व्यवस्था के लिए यह लेखपाल और कानून को गंभीर खतरा बनकर समाज में अशांति फैलाने पर आमादा है।

 

इसी प्रकार से पीड़ित पक्ष के अन्य रकबो में भी अनैतिक कार्य किया गया है। लोगों की जमीन छीनकर यह भूमाफियाओं को मनमाने तरीके से फर्जी दस्तावेजों के जरिए हेरा फेरी करते हुए इधर से उधर कर रहे हैं। इन लोगों के द्वारा किए गए कार्यों की गहन जांच की जाए तो उनके द्वारा तैयार किए गए अभिलेखों के आधार पर उनके विरुद्ध भीषण गंभीर आपराधिक मामले प्रमाणित हो रहे हैं।
उच्च अधिकारियों ने समय रहते कार्रवाई की तो यह तत्काल गिरफ्त में आ जाएंगे। जनता को यह उम्मीद है कि सरकार कब हरकत में आएगी प्रशासनिक अधिकारी कब इस हल्का लेखपाल और कानूनगो के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
इसको लेकर लोगों को यह उम्मीद है कि शीघ्र ही त्वरित उचित कार्रवाई होगी। आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने, कूट दस्तावेज तैयार करके पुराने किसानों की जमीन भूमाफियाओं को देने, रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार के जरिए किसानों का उत्पीड़न करने, भू अभिलेख में हेरा फेरी जैसे गंभीर आरोप उनके विरुद्ध प्रमाणित हो चुके हैं। शिकायतकर्ताओं द्वारा साक्षी भी अधिकारियों को उपलब्ध करा दिया गया है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त लेखपाल-कानूनगो के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही है।
क्योंकि कानूनगो और लेखपाल की मनमानी से जनता त्रस्त है। स्थगन आदेश के बावजूद हल्का लेखपाल एवं कानूनगो मनमानी कर रहे हैं।हाईकोर्ट, डीएम, एसडीएम, दीवानी कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद भी लेखपाल – कानूनगो सरकारी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। घनघोर आश्चर्य की बात तो यह है कि फरेब एवं जालसाजी के बल पर स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी चकमा दे रहे हल्का लेखपाल एवं कानूनगो मनमानी कर रहे हैं।
जनपद में एक कानूनगो और लेखपाल की मनमानी के कारण क्षेत्र में भारी प्रशासनिक अव्यवस्था उत्पन्न हो रही है। कानूनगो और लेखपाल की मनमानी के कारण जनता त्रस्त है और लोगों में त्राहि त्राहि मची हुई है। उनके भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की वजह से सरकार की छवि धूमिल हो रही है।
बताना है कि ग्राम सभा इटहरा, कोनिया, ज्ञानपुर भदोही का लेखपाल सर्वेश शुक्ला एवं कानूनगो इन्दु तिवारी कानून को इस तरह धता बता रहा है कि कानून का राज खत्म हो गया है। उसके जालफेरे का कानून चल रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण यह है कि ग्राम इटहरा, थाना कोईरौना, जनपद भदोही के पीड़ित/ भुक्तभोगी शारदा प्रसाद तिवारी आदि के द्वारा मा. उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एक मुकदमा सं. 19920/1999 गुलाब धर आदि बनाम डी.डी.सी. से दाखिल किया गया, जिसमें मा. उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश पारित किया, उक्त मुकदमे के वादी गुलाबधर की मृत्यु के बाद वादी पक्ष से शारदा प्रसाद की तरफ से रेस्टोरेशन दाखिल किया गया जो उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, इसके बावजूद इन दोनों के सह पर उसी जमीन के संबंध में पीड़ित के विपक्षीयों ने उच्च न्यायालय के मुकदमे के तथ्य को छिपा करके एक सिविल मुकदमा SDM ज्ञानपुर के यहां सावित्री देवी बनाम सरकार दाखिल किया। जिसकी जानकारी मिलने पर पीड़ितों ने उसमें उपस्थित होकर जवाब लगाया, जो आज भी विचाराधीन है। जब इन फरेबियों का इसमें योजना सिद्ध नहीं हो पाया तो इन फरेबियों ने पुनः उपरोक्त दोनों मुकदमो को छुपा करके एक और मुकदमा SDM ज्ञानपुर के यहां ही अनिल बनाम सरकार दाखिल करके और अपने खड्यंत्र के बल पर एक पक्षीय पैमाइश का आदेश प्राप्त कर लिया। भुक्तभोगियों को जब इसकी जानकारी मिली तो यहां भी उपस्थित होकर के उपरोक्त सारी जानकारी दिया, इसके बावजूद भी हल्का लेखपाल, कानूनगो कुचक्र रचता रहा, जिसकी जानकारी मिलने पर पीड़ित पक्षों ने उपरोक्त सभी इन खड्यंत्रकारी शक्तियों की विरुद्ध जिलाधिकारी के यहां एक वाद प्रस्तुत किया, जिसमें जिलाधिकारी, भदोही ने भी रोक लगा दिया था, इसी बीच परेशान लोगों ने जनपद न्यायालय में एक दीवानी वाद शारदा प्रसाद बनाम अनिल कुमार आदि दायर किया, जिसमें न्यायालय ने पीड़ित पक्षों के पक्ष में एक आदेश पारित किया।
पीड़ित पक्षों ने बताया कि जिसके बावजूद भी कानून से ऊपर हो करके हल्का लेखपाल एवं कानूनगो बोए खेत की पैमाइश करने पर उतारू हैं, और यह कहते है कि मैं जो चाहता हूं, करता हूं, सब मेरी जेब में रहते हैं, भुक्तभोगियों का यह भी कहना है कि ये आए दिन पुलिस प्रशासन के साथ आकर धमकी देता है कि जो मैं कहूं मान लो अन्यथा महंगा पड़ेगा, हमारे बल को तुमने यह भी देखा होगा कि मैंने तुम्हारे विपक्षीगणो में से सिर्फ 1-2 लोगों को ही और तुम्हारी तरफ से दर्जनों लोगों को धारा 126/135 B.N.S.S. में फंसवा दिया, वास्तव में उपरोक्त भुक्तभोगियों के बताने एवं उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखा जाए तो स्पष्ट रूप से लगता है कि उपरोक्त हल्का लेखपाल एवं कानूनगो हाईकोर्ट एवं न्यायालय से बड़े दिखाई दे रहे हैं। खैर बड़ा-बड़ा होता है छोटा-छोटा होता है, अब देखना है वास्तव में क्या बड़ा अपने को बड़ा साबित कर पायेंगे कि यही लेखपाल व कानूनगो सब पर भारी रहेंगे।
सूत्रों से यह भी जानकारी प्राप्त हुआ है कि इस लेखपाल एवं कानूनगो इतना बड़ा फर्जीवाड़ा करने का गिरोह है कि जिस भैरव लाल के पक्ष में काम कर रहा है उसका मकान भी अपने सह पर ग्राम सभा एवं वन विभाग की जमीन पर बनवा दिया है, इसी तरह इसके गैंग में कुछ ऐसे लोग है जो बिना बैनामा के ग्रामसभा, ग्राम समाज एवं गरीबों की जमीन को कानून का धता बता करके इस्तेमाल कर रहे हैं और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनाएं है
भुक्तभोगियों द्वारा यह भी बताया गया है कि इन जालसाजीयों का इतना बड़ा गैंग है वो कहते है कि मेरी बात नहीं मानोगे तो हम तुम्हारे रकबे में दूसरे का नाम भी दर्ज कर देंगे। पीड़ित पक्ष का यह कहना है कि इनका इस सेक्टर में जो मूल चक बना हुआ है, इनकी जो भी जमीन हो अपने चक से सटे चक में ले यही चकबंदी नियमावली है और इसीलिए चकबंदी होती भी है, लेकिन इन फरेबियों ने अपना एक नियम कानून बना करके एक सेक्टर में नाच नाच के चक हर कॉर्नर पर लेना चाहते हैं। पिड़ित पक्ष ने बताया कि इन दोनों भ्रष्टाचारी कर्मचारी एवं विपक्षी का कॉल डिटेल्स निकलवा कर जांच किया जाए तो इस घटना में गलत कार्य करने वाले लोगों का चेहरा सामने आ जाएगा, इसी तरह के कर्मचारियों की वजह से जनपद देवरिया, प्रयागराज के प्रतापपुर में जिस प्रकार से घटनाएं हुई है, उसके जिम्मेदार इसी तरह से कार्य करने वाले लोग हैं।

पीड़ित पक्षकारों का यह भी कहना है कि ये भ्रष्टाचारी लोग यही तक नहीं रूके बल्कि जिस समूचे चक के संबंध में हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश पारित किया था, उसी समय के अन्तर्गत ही चक में इन लोगों ने दूसरे का नाम चढ़ा दिया। लेखपाल और कानूनगो की मनमानी से यह साबित होता है कि जब तक सख्त कानूनी कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक कानून के राज की वापसी मुश्किल है। इसके लिए प्रशासन और न्यायपालिका की जिम्मेदारी बनती है कि वे भ्रष्टाचार और कानून के उल्लंघन के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करें, ताकि पीड़ितों को न्याय मिले।

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